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________________ २०४ पञ्चाशोऽध्याय साधारणे सघण्टा तु'घण्टाकर्णा त्रिशूलिनी । रक्त कृष्णोपहारेण सर्वकामान् प्रयच्छति ॥१९१॥ विरोध कृन्मयूराख्या मयूरासन संस्थिता । पाश शक्ति करा देवी त्रिनेत्रा अलकोज्ज्वला ॥१२॥ गन्ध पुष्पोपहारेण चन्दनागुरू चच्चिता। पूजिता भाव होमेन सर्वकामान् प्रयच्छति ॥१३॥ परिवाद्यां यजेद् देवी बहुरूपा नरासनाम् । शूल खड्गधरी वत्स सर्वाभरण भूषिताम् ॥१९४॥ शुक्ल रक्ता सित पीतै र्गन्ध धूप पवित्रकैः । पूजिता भावहोमेन वलि दानेन तुष्टिदा ॥१६॥ प्रमाथिने सुरुपां तु हार केयूर भूषिताम् । दण्डासन समारूढां पद्भस्वस्तिक धारिणीम् ॥१६॥ मधु माला स्रजा पीडा सर्व गन्धोपर्चाच्चता । वलि माल्योपहारेण हवनेन शुभप्रदा ॥१७॥ आनन्दाख्ये त्रिनेत्रा तु शूल पटिश धारिणी । जटोरुरग शरच्चन्द्र भूषिता शिव रूपिणी ॥१८॥ गन्ध माल्योपहारेण पूजिता सित पङ्कजः । प्रयच्छति शुभान् कामान् जपहोम परायणा ॥१६॥ रिपुहा राक्षसे का- वज्र चक्र धनुर्द्धरा । पूजिता गन्धमाल्यैश्च वलि होमेन सिद्धिदा ॥२००॥ अनले अम्बिका देवी शूल सूत्राक्षधारिणी। रक्त बल्युपहारेण पूजनाहवना शुभा ॥२०१॥ माहेश्वरी वृषारूढा त्रिनेत्रा शूलधारिणी । वीणा वादनशीला चहार केयूर भूषिता ॥२०२॥ चन्दनागुरु दिग्धाङ्गी जाति चम्पक' पूजिता । कालयुक्ते''कुमारी तु मयूरासन शक्ति भृत् ।२०३ त्रिदण्डी वालरुपा च रक्तमाल्य समुज्ज्वला'२ । रक्तवासा बलिगन्धा क्षौद्र मांसासवप्रिया ॥२०४॥ पूजिता विधिवदेवी हवनात् तुरंगमा शुभा। सिद्धयर्थे 'वैष्णवी कार्या शङ्ख चक्र गरुत्मगा'६॥२०॥ वनमाला कृतापीडा वनमाला सुशोभना । पूजिता गन्ध पुष्पाद्यै जाती चन्दनचम्पर्कः१८ ॥२०६॥ ३. चवि क ग। ६. सरिश्वंभू क। १. संद्यदातु क। २. मयूराक्षी क ग। ४. बहुरुपानुवासनी क। . ५. सित क ग । ७. विप्रहा क ग। ८. वर्णो क ६. व क । ११. वलि सोमालका हारा ध्वनापिंगले शुभा क ग । १३. गंधे क। १४. विविध क। १६. रगदात्मषा क। १७. पीत वस्त्रासु क ग। १०. वपक क। १२. कुकुटा क। १५. सिद्धार्थ क ग । १८. जाती चंपकं चंद:का
SR No.002465
Book TitleDevi Puranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpendra Sharma
PublisherLalbahadur Shastri Kendriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year1976
Total Pages588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, L000, & L015
File Size11 MB
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