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________________ तल सं जी की पठन-पाठन व्यवस्था, विचरण क्षेत्र इत्यादि का निर्धारण हीर सूरि जी करते थे। प्रतिष्ठित जिन प्रतिमाएँ: हीर सूरि जी म. सा. ने सिरोही, नाडलाई, अहमदाबाद, पाटण आदि 50 मंदिरों की प्रतिष्ठा स्वयं कराई एवं उनके कहने से अन्य 500 मंदिर तैयार हुए। हजारों प्रतिमाओं की उन्होंने अंजनश्लाका कराई। वर्तमान समय में उनके द्वारा प्रतिष्ठित जिन प्रतिमाएँ यत्र-तत्र प्रात होती हैं जिन पर उनकी प्रतिष्ठा की तिथि भी मिलती है किंतु मूल स्थान वर्तमान स्थान भी हो सकता है एवं अन्य भी। 1. त्रैलोक्य दीपक प्रसाद, राणकपुर में सभामंडप के खंभे पर उत्कीर्ण शिलालेख अनुसार वैशाख सुदि 13 संवत् 1611 में प्रतिष्ठित 2: पद्मप्रभ जिनालय, चूड़ीवाली गली, लखनऊ में प्राप्त कुंथुनाथ जी की धातु की प्रतिमा लेख अनुसार माघ वदि-1 गुरुवार संवत् 1617 में प्रतिष्ठित। चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, भैंसर रोड़गढ़ में प्राप्त आदिनाथ जी की धातु की प्रतिमा (लेख अनुसार फाल्गुन वदि 12, बुधवार, संवत् 1620 में प्रतिष्ठित)। विमलवसही, आबू के शिलालेख अनुसार पौष वदि 13 शुक्रवार वि. सं. 1621 में प्रतिष्ठित जैन मंदिर जूनावेड़ा (मारवाड़) में प्राप्त शान्तिनाथ जी की प्रतिमा। (अभिलेख के अनुसार वैशाख सुदि 10 शुक्रवार संवत् 1624 में प्रतिष्ठित)। श्रीमालों का मंदिर, जयपुर में प्राप्त पद्मप्रभ स्वामी जी की धातु की प्रतिमा (लेख के अनुसार माघ सुदि 6 सोमवार वि. सं 1624 में प्रतिष्ठित) 7. ऊँझा के जैनमन्दिर में प्राप्त आदिनाथ ऋषभदेव जी की धातु की प्रतिमा (लेख के अनुसार ___ माघ सुदि 6 सोमवार वि.सं. 1624 में प्रतिष्ठित) संभवनाथ देरासर, जैसलमेर में संभवनाथ जी की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख अनुसार फाल्गुन सुदि 8, सोमवार वि.सं. 1626 में प्रतिष्ठित। नाणा, खंभात, खेड़ा, भरुच, शत्रुजय, जयपुर, पाटण, बड़ौदा, नौहर, भंडार, उदयपुर, मुम्बई, अजीमगंज, नागौर, सिरोही, कलकत्ता, ईडर, बीजापुर, वरखेड़ा, सांगानेर, आदि अनेकानेक स्थलों महावीर पाट परम्परा ० ० 217
SR No.002464
Book TitleMahavir Pat Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanandvijay
PublisherVijayvallabh Sadhna Kendra
Publication Year2016
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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