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________________ 7. कालेखाँ फैजी 8. अब्दुल समद 9. सुस्महमहाद 10. शेख मुबारक 11. आजमखान कोका 12. सदर जहान 13. मीर शरीफ अमली 14. नवी शास्तरी 15. सुल्तान राजा सदर 16. शेखज़ादा गोसला 17. बीरबल 18. मिर्जा जानी हाकमट्ठा अनेकों ने अपने साम्राज्य में जीवहिंसा-कत्लखाने बन्द कराए थे। मेवाड़ का राणा प्रताप भी सूरि जी का भक्त था। विजय हीर सूरि जी ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में चातुर्मास किए। आनन्द काव्य महोदधि ग्रंथ के पाँचवें भाग के अनुसार पाटण-8, खंभात-7, अहमदाबाद-6, सिरोही-2, सांचोर-2, आगरा-2, मेहसाना-1, बोरसद-1, राधनपुर-1, कुनधेर-2, अमोद-1, अभरामाबाद, फतेहपुर सीकरी-1, सजोतरा-1, गंधार-1, नागोर, ऊना-1, दिल्ली-1, लाहौर-1, जालोर-1 तथा इलाहाबाद, मथुरा, मालपुरा, सूरत, आबू, फलौदी, राणकुपुर, नाडलाई. पालीताणा, देवी और ऊना इत्यादि जगहों पर अन्य मतानुसार चातुर्मास किए। उनकी तपस्या उनकी शासन प्रभावना का मुख्य आधार रही। विजय हीर सूरि जी ने आजीवन बहुत तपस्या की। कुछ का वर्णन इस प्रकार है- 81 अट्टम, 225 छट्ठ, 3600 उपवास, 2000 आयम्बिल, 2000 नीवि, वीस स्थानक की तपस्या 20 बार, सूरिमंत्र की विधि सहित तपश्चर्या, दर्शन, ज्ञान, चारित्र पदो की उग्र तपस्या (22 महीने) एवं गुरुभक्ति तप में भी 13 महीने की उग्र तपश्चर्या आदि से रसनेन्द्रिय को वश किया। बादशाह अकबर को प्रतिबोधः विजय हीर सूरि जी के जीवन वृत्तांत की सर्वाधिक घटनाएँ प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से बादशाह अकबर के साथ जुड़ी हैं क्योंकि अकबर बादशाह के द्वारा जिनधर्म के सिद्धांतो के प्रति अहोभाव प्रकट कराना एक महनीय कार्य था। फतेहपुर सीकरी (आगरा के निकट) में अकबर बादशाह अपने महल में बैठा हुआ था। तभी चम्पा नामक जैन श्राविका की 6 महीने की उग्र तपस्या की अनुमोदना में वहाँ विशाल जुलूस निकल रहा था। बादशाह अकबर ने जब जुलूस का कारण पूछा तो वह बहुत अचम्भित हुआ कि हम मुसलमान तो 1 महीने के रोजे करते हैं और पेट भर खाते है। कैसे इस स्त्री महावीर पाट परम्परा 214
SR No.002464
Book TitleMahavir Pat Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanandvijay
PublisherVijayvallabh Sadhna Kendra
Publication Year2016
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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