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कर रहा है। अपनी ज्योतिष विद्या के बल से उन्होंने जाना कि इस उच्च नक्षत्र योग में संतान वृद्धि यानि शिष्य परिवार वृद्धि की अद्वितीय संभावना है। तभी सर्वानुभूति यक्ष नामक देव भी प्रकट हुआ एवं गुरुदेव के शिष्य वृद्धि से शासन प्रभावना का संकेत दिया। इस विचार से अगले ही दिन सहज योग एवं शुद्ध वेला में अपने शिष्यश्री सर्वदेव, श्री मानदेव, श्री महेश्वर, श्री प्रद्योतन इत्यादि 8 मुनि भगवंतों को वट वृक्ष ( बड़ का पेड़) के नीचे शुभ मुहूर्त में आचार्य पदवी प्रदान की। श्रमण गण को लोगों ने 'वट गच्छ' के नाम से प्रसिद्ध किया और धीरेधीरे गुणी श्रमणों की वृद्धि होने से वटगच्छ का ही नामांतर 'बृहद्गच्छ' प्रसिद्ध हुआ जो कालांतर में बड़गच्छ के नाम से विख्यात हुआ। निग्रंथ गच्छ अब बड़गच्छ कहलाने लगा। ___कुछ ग्रंथ गुर्वावली के अनुसार 83 विभिन्न साधु समुदायों के स्थविरों ने अपने-अपने समुदाय
से एक-एक मेधावी मुनि को उद्योतन सूरि जी जैसे चरित्रनिष्ठ विद्वान श्रमणश्रेष्ठ के पास अध्ययन हेतु भेजा। अपने शिष्य सर्वदेव मुनि एवं अन्य 83 साधुओं के अध्ययन की पूर्णता उनकी योग्यता-पात्रता व शासनरसिकता को मध्य नजर रखते हुए उन्होंने ये विचार किया कि सभी 84 शिष्य आचार्य (सूरि) पद के लायक हैं। सभी के साथ विहार करते-करते उद्योतन सूरि जी को एहसास हुआ कि मैं जिस किसी के सिर पर हाथ रख दूं, तो वह प्रसिद्धि.व 'शिष्य योग' को प्राप्त होगा। शासनदेव ने भी आचार्य पद प्रदान हेतु विनती की। उद्योतन सूरि जी ने वासचूर्ण (वासक्षेप) को अभिमंत्रित कर सभी 84 शिष्यों को आचार्य पद की अनुज्ञा दी। ___ 1. श्री सर्वदेव सूरि 2. श्री प्रभाचंद्र सूरि 3. श्री हरियानंद सूरि
4. श्री शिवदेव सूरि 5. श्री जिनेन्द्र सूरि 6. श्री दयानंद सूरि 7. .............. 8. श्री आनंद सूरि 9. श्री धर्मानंद सूरि 10. श्री राजानंद सूरि 11. श्री सौभाग्यचंद्र सूरि 12. श्री देवेन्द्र सूरि 13. .........
___ 14. श्री प्रज्ञानंद सूरि ___15. श्री सर्वानंद सूरि 16. श्री संघानंद सूरि 17. श्री सोमानंद सूरि 18. श्री यक्षायण सूरि 19. ............... 20. श्री सामंत सृरि 21. श्री शिवप्रभ सूरि 22. श्री उदयराज सूरि 23. श्री देवराज सूरि 24. श्री गांगेय सूरि 25. श्री प्रभ सूरि 26. श्री धर्मसिंह सूरि 27. श्री संघसेन सूरि
महावीर पाट परम्परा
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