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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन 888230 सहस्रकूट के अन्तर्गत 1024 तीर्थंकर सहस्रकूट एक विशिष्ट संरचना है जिसमें तीर्थंकर भगवंतों की हजार से अधिक प्रतिमाएँ स्थापित होती हैं। सिद्धाचल तीर्थ पर सहस्रकूट के तीन स्थानक हैं व अन्य तीर्थों पर भी होते हैं। उनमें 1024 प्रतिमाएँ होती हैं। उनका वर्णन इस प्रकार है 720 जम्बूद्वीप, धातकीखंड द्वीप एवं पुष्करार्ध द्वीप में कुल 5 भरत क्षेत्र व 5 ऐरावत क्षेत्र, यानी 10 क्षेत्र होते हैं। एक क्षेत्र में अतीत वर्तमान - अनागत काल के क्रमशः 24, 24, 24 तीर्थंकर यानी त्रिकाल के 72 तीर्थंकर होते हैं। इस प्रकार 10 क्षेत्रों के 720 तीर्थंकर जिनकी नामावली पूर्व में प्रस्तुत की गई है। श्री अजितनाथ जी के समय में उत्कृष्ट 170 तीर्थंकर विचर रहे थे। उनमें से भरत - ऐरावत क्षेत्रों के 10 तीर्थंकर उपरिलिखित 720 में समाहित हैं एवं 5 महाविदेह की प्रत्येक 32 विदेह विजयों के 160 तीर्थंकर, जिनकी नामावली आगे प्रस्तुत की गई है। वर्तमान समय में महाविदेह क्षेत्र में विचर रहे 20 विहरमान तीर्थंकर यानी 5 महाविदेह में प्रत्येक 4 तीर्थंकर यानी 20 विहरमान तीर्थंकर । भरत क्षेत्र की वर्तमान चौबीसी में 24 तीर्थंकरों (ऋषभ, अजित आदि) के पाँच पाँच कल्याणकों की कुल 120 प्रतिमाएँ भिन्न अवस्थाओं में विराजमान की जाती हैं। तीर्थंकरों के 4 शाश्वत नाम ऋषभ, चंद्रानन, वारिषेण, वर्धमान । 1024 कुल प्रतिमाएँ 160 020 120 004 मतान्तर से भिन्न प्रकार से 1008 प्रतिमाएँ भी स्थापित की जाती है। प्रत्येक 'वाद' रागद्वेष की वृद्धि करने वाला है। आचारांग - चूर्ण ( 1/6/1)
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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