SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन @ 223 धातकीखंड के पश्चिम भरत क्षेत्र की त्रिकाल चौबीसी क्र.सं. | भूत काल | वर्तमान काल | भविष्य काल श्री वृषभनाथ श्री विश्वेन्दु श्री रत्नकेश (रत्नकोष) श्री प्रियमित्र श्री करण (कपिल) श्री चक्रहस्त श्री शांतनु श्री वृषभ श्री ऋतुनाथ (सांकृत) श्री सुमृदु श्री प्रियतेज श्री परमेश्वर श्री अतीत श्री विमर्ष श्री सुमूर्ति (शुद्धार्तिक) श्री अव्यक्त श्री प्रशमजिन श्री मुहूर्तिक श्री कलाशत श्री चारित्रनाथ श्री निकेश श्री सर्वजिन श्री प्रभादित्य श्री प्रशस्त श्री प्रबुद्ध श्री मंजुकेशी श्री निराहार श्री प्रव्रजित श्री पीतवास श्री अमूर्ति श्री सौधर्म श्री सुररिपु श्री द्विजनाथ (दयावर) श्री तमोदीप श्री दयानाथ श्री श्वेतांग श्री वज्रसेन श्री सहस्रभुज श्री चारुनाथ श्री बुद्धि . श्री जिनसिंह श्री देवनाथ श्री प्रबंधनाथ श्री रेपक श्री व्याधिक श्री अजित श्री बाहुजिन श्री पुष्पनाथ श्री प्रमुख श्री पल्लि श्री नरनाथ श्री पल्योपम श्री अयोग श्री प्रतिकृत | श्री अर्कोपम श्री अभोग श्री मृगेन्द्रनाथ | श्री तिष्ठित श्री कामरिपु श्री तपोनिधिक | श्री मृगनाभ श्री अरण्यबाहु श्री अचल श्री देवेन्द्र श्री नेमिकनाथ श्री आरण्यक श्री प्रायच्छित श्री गर्भज्ञानी श्री दशानन श्री शिवनाथ श्री अजित श्री शांतिक उत्तम वचनों का श्रवण करके भी उस पर श्रध्दा होना अति कठिन है। - उत्तराध्ययन (10/19)
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy