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________________ शासन में चक्रवर्ती (115) 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. | शान्तिनाथ (स्वयं) भरत चक्रवर्ती सगर चक्रवर्ती 23. 24. I 1. मघवा, सनत्कुमार चक्री 17. कुंथुनाथ (स्वयं) 18. अरनाथ (स्वयं) सुभूम चक्रवर्ती 19. 20. पद्म चक्रवर्ती 21. हरिषेण, जयसेन चक्री 22. ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती तीर्थंकर : एक अनुशीलन 213 बलदेव (116) अचल विजय भद्र सुप्रभ सुदर्शन आनन्द नन्दन रामचन्द्र बलभद्र (बलराम ) वासुदेव (117) त्रिपृष्ठ द्विपृष्ठ स्वयम्भू पुरुषोत्तम पुरुषसिंह पुरुष पुंडरीक दत्त - नारायण (लक्ष्मण) श्रीकृष्ण प्रतिवासुदेव (118) अश्वग्रीव तारक मेरक मधुकैटभ निशुम्भ बलि प्रह्लाद रावण - जरासंध विशेष : 'ऋषभदेव प्रभु पधारे हैं।' ऐसा समाचार देने वाले पुरुषों को भरत चक्रवर्ती ने 12 21⁄2 करोड़ स्वर्ण मोहरें दी थीं। महावीर प्रभु पधारे हैं,' यह समाचार सुन नंदीवर्धन व श्रेणिक ने दूत को 122 लाख स्वर्ण मुद्राएँ, 5 वस्त्र और सोने की जीभ भेंट दी।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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