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________________ 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. तीर्थंकर : एक अनुशीलन 206 केवली पर्याय (95) 1000 वर्ष कम 1 लाख पूर्व 1 पूर्वांग 12 वर्ष कम 1 लाख पूर्व 4 पूर्वांग 14 वर्ष कम 1 लाख पूर्व 8 पूर्वांग 18 वर्ष कम 1 लाख पूर्व 12 पूर्वांग 20 वर्ष कम 1 लाख पूर्व 16 पूर्वांग 6 मास कम 1 लाख पूर्व 20 पूर्वांग 9 मास कम 1 लाख पूर्व लाख पूर्व 24 पूर्वांग 3 मास कम 1 28 पूर्वांग 4 मास कम 1 लाख पूर्व 3 मास कम 25 हजार पूर्व 2 मास कम 21 लाख वर्ष 1 मास कम 54 लाख वर्ष 2 मास कम 15 लाख वर्ष 3 वर्ष कम 72 लाख वर्ष 2 वर्ष कम 2-21⁄2 लाख वर्ष 1 वर्ष कम 25,000 वर्ष 16 वर्ष कम 23750 वर्ष 3 वर्ष कम 21000 वर्ष 54900 वर्ष 11 मास कम 7500 वर्ष 9 मास कम 2500 वर्ष 54 दिन कम 700 वर्ष 84 दिन कम 70 वर्ष 29 वर्ष 5 मास 15 दिन कुल दीक्षा (संयम) पर्याय (96) एक लाख पूर्व एक लाख पूर्व में 1 पूर्वांग कम एक लाख पूर्व में 4 पूर्वांग कम 1 लाख पूर्व में 8 पूर्वांग कम 1 लाख पूर्व में, 12 पूर्वांग कम 1 लाख पूर्व में 16 पूर्वांग कम 1 लाख पूर्व में 20 पूर्वांग कम 1 लाख पूर्व में 24 पूर्वांग कम 1 लाख पूर्व में 28 पूर्वांग कम 25 हजार पूर्व 21 लाख वर्ष 54 लाख वर्ष 15 लाख वर्ष 721⁄22 लाख वर्ष 2-21⁄2 लाख वर्ष 25000 वर्ष 23750 वर्ष 21000 वर्ष 54900 वर्ष 7500 वर्ष 2500 वर्ष 700 वर्ष 70 वर्ष 42 वर्ष विशेष : मुनिसुव्रत स्वामी जी ने योग्यता जानकर बीस योजन का विहार करके भरुच में अश्व (घोड़े) को प्रतिबोध दिया था। कादम्बरी जंगल में श्री पार्श्वनाथ प्रभु के दर्शन से हाथी को जातिस्मरण ज्ञान हुआ था ।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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