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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन 8 203 Lirir tvorio o 12. यक्षिणी के दाएँ हाथ में आयुध/मुद्रा यक्षिणी के बाएँ हाथ में आयुध/ मुद्रा (86) (87) वरमुद्रा, बाण, चक्र, पाश (दक्षिण) मातुलिंग | धनुष, वज्र, चक्र, अंकुश (वाम) वरदमुद्रा, पाश अंकुश, फल (बिजोरा) वरदमुद्रा, अक्षमाला फल (या सर्प), अभयमुद्रा वरदमुद्रा, पाश सर्प, अंकुश वरदमुद्रा, पाश (या नागपाश) मातुलिंग, अंकुश वरदमुद्रा, वीणा (या पाश/बाण) धनुष (या मातुलिंग) अभयमुद्रा (अंकुश) वरदमुद्रा, अक्षमाला (मुक्तामाला) त्रिशूल (या पाश), अभयमुद्रा खड्ग, मुद्गर फलक (या मातुलिंग), परशु वरदमुद्रा, अक्षसूत्र कलश, अंकुश वरदमुद्रा, पाश (या नागपाश) फल, अंकुश वरदमुद्रा, मुद्गर (या पाश) कलश (या वज्र), अंकुश (या अक्षसूत्र) वरदमुद्रा, शक्ति पुष्प (या पाश), गदा 13. बाण, पाश धनुष, सर्प 14. खड्ग व पाश अथवा फलक खेटक व अंकुश उत्पल (कमल) अंकुश पद्म, अभयमुद्रा पुस्तक, उत्पल (कमल) कमंडलु, पद्म (या वरदमुद्रा) बीजपूरक (बिजोरा), शूल (या त्रिशूल) मुषुण्डि (या पद्म), पद्म 18. मातुलिंग, उत्पल पाश (या पद्म) अक्षसूत्र वरदमुद्रा, अक्षसूत्र मातुलिंग, शक्ति वरदमुद्रा, अक्षसूत्र बीजपूरक (बिजोरा), कुंभ (या शूल) वरदमुद्रा, खड्ग (अक्षमाला, वज्र, परशु) बीजपूरक, कुंभ या शूल (खेटक, मातुलिंग) आम्रलुम्बि, पाश पुत्र, अंकुश 23. | पद्म, पाश (शीर्ष में सर्पफण छत्र) फल, अंकुश पुस्तक, अभयमुद्रा / वरमुद्रा मातुलिंग (या पाश), बाण | वीणा | पद्म फल विशेष : कुछ विद्वानों के अभिमतानुसार सभी यक्षिणी में सर्वाधिक पुण्यवंत एवं जागृत देवी पद्मावती है जो एकभवावतारी कही जाती है। श्री पार्श्वनाथ जी के आराधकों को योग्य फल देने की माता पद्मावती देवी की अनेक कथाएँ प्रसिद्ध हैं।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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