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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन @ 193 केवलज्ञान वेला (58) पूर्वाह्न प्रथम प्रहर छद्मस्थ अवस्था केवलज्ञान कल्याणक केवलज्ञान तप | (55) (56) (57) | 1000 वर्ष फाल्गुण वदी 11 |अट्ठम तप 2. | 12 वर्ष पौष सुदी 11 षष्ठ तप (छट्ठ) 3. | 14 वर्ष कार्तिक वदी 5 | 18 वर्ष पौष सुदी 14 20 वर्ष चैत्र सुदी 11 6 महीना चैत्र सुदी 15 9 महीना फाल्गुण वदी 6 6 महीना फाल्गुन वदी 7 4 महीना कार्तिक सुदी 3 3 महीना पौष वदी 14 2 महीना माघ वदी अमावस 1 महीना माघ सुदी 2 चतुर्थभक्त 2 महीना पौष सुदी 6 छ? तप वैशाख वदी 14 15.| 2 वर्ष पौष सुदी 15 | 1 वर्ष पौष सुदी 9 17.| 16 वर्ष चैत्र सुदी 3 | 3 वर्ष कार्तिक सुद 12 1 अहोरात्र मार्गशीर्ष सुद 11 अट्ठम तप 20.| 11 महीना फाल्गुण वदी 12 | छट्ठ तप 21.| 9 महीना . मार्गशीर्ष सुदी 11 | 54 दिन आश्विन वदी अमावस | अट्ठम तप 23.| 83 दिन चैत्र वदी 4 अट्ठम तप 24. 12 वर्ष 6 महीने | वैशाख सुदी 10 छट्ठ तप | 15 दिन 3 वर्ष पश्चिमाह्न अंतिम प्रहर विशेष : छद्मस्थ अवस्था में प्रथम तीर्थंकर को एक अहोरात्रि एवं अंतिम तीर्थंकर को दो घड़ी (48 मिनट) नींद आई। शेष किसी भी तीर्थंकर ने छद्मस्थ अवस्था में नींद नहीं ली।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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