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________________ • आशीर्वचन मंगल आशीर्वाद सम्पादकीय भूमिका 1. 'तीर्थंकर' शब्द : एक विश्लेषण 2. तीर्थंकर पद प्राप्ति (तीर्थंकर नाम कर्म) 3. तीर्थंकरों की उत्पत्ति : कहाँ और कब 4. तीर्थंकरों की संख्या : एक अनुचिन्तन 5. कल्याणक : एक परिचय 6. च्यवन (गर्भ) कल्याणक 7. जन्म कल्याणक 8. नामकरण एवं बाल्यकाल 9. तीर्थंकर एवं क्षत्रिय कुल 10. तीर्थंकरों का बाह्य रूप • अनुक्रम 11. तीर्थंकरों का अतुल बल 12. दीक्षा (निष्क्रमण) कल्याणक 13. तीर्थंकरों की छद्मस्थ अवस्था 14. केवलज्ञान कल्याणक 15. तीर्थंकरों की विशिष्टता 16. तीर्थंकरों के विशेषण 17. निर्वाण (मोक्षगमन) कल्याणक 18. तीर्थंकर एवं अन्य आत्माओं में अन्तर 19. तीर्थंकर एवं अवतार 20. जैन स्तोत्र साहित्य में 'तीर्थंकर' पृ.सं. iii iv V vii 1 5 14 20 26 32 41 50 58 65 70 75 83 94 109 121 129 135 141 146
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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