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॥जयन्तु वीतरागाः॥ ॥ श्री आत्म-वल्लभ-समुद्र-इन्द्रदिन्न-नित्यानन्द सूरि सद्गुरुभ्यो नमः॥
तीर्थंकर : एक अनुशीलन
* शुभाशीर्वाद * वर्तमान गच्छाधिपति, शान्तिदूत, जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरीश्वरजी म.सा.
* लेखन-संग्रहण * शासनदीपिका महत्तरा साध्वी सुमंगलाश्री जी की प्रशिष्या
प्रवचनप्रभाविका, विदुषी साध्वी पूर्णप्रज्ञाश्री जी म.