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तीर्थंकर : एक अनुशीलन 8 172
जिज्ञासा - क्या तीर्थंकर परमात्मा की प्रतिमा का पूजन शास्त्रोक्त है?
समाधान - आगम - मूल, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि और टीका तथा अनेकानेक शास्त्रों में प्रतिमा पूजन का स्पष्ट उल्लेख है। • ज्ञाताधर्मकथांग में द्रौपदी रानी द्वारा जिनेश्वर देव की प्रतिमा पूजन का वर्णन। • उपासकदशांग में आनंद श्रावक द्वारा जिनमंदिर में पूजन का उल्लेख। • जीवाजीवाभिगम सूत्र में जिनबिंबों के स्वरूप का विशद वर्णन। • कल्पसूत्र में महाराजा सिद्धार्थ द्वारा जिनपूजा का वर्णन। • श्रीपाल चरित्र में श्रीपाल राजा द्वारा आदीश्वर प्रभु के समक्ष यंत्राराधना का वर्णन।
उपदेशमाला में जिनपूजन का श्रावक के आवश्यक कर्त्तव्य के रूप में उल्लेख। इस प्रकार आवश्यक सूत्र, महानिशीथ सूत्र, भगवती सूत्र, भक्तपरिज्ञा सूत्र, पद्म चरित्र, त्रिषष्टिशलाकापुरुष, शजय माहात्म्य, इत्यादि अनेकानेक ग्रंथों में मूर्तिपूजन का महत्त्व बताया गया है।
काल के प्रभाव से आए अमूर्तिपूजक तत्त्वों को बोध देने हेतु हमारे प. पू. आचार्य विजयानंद सूरीश्वर जी म.सा. (आत्माराम जी) ने सम्यक् दर्शन प्रदायक व जिन प्रतिमा तादात्म्य उन्नायक 'सम्यक्त्व शल्योद्धार' पुस्तक की रचना की है जिसमें तीर्थंकर की प्रतिमा पूजन विषयक समग्र भ्रान्तियों का निराकरण व सभी को परमात्मा से जोड़ने का सफल | प्रयास किया गया है।
'इसने मुझे मारा'- कुछ इस विचार से हिंसा करते हैं। 'यह मुझे मारता है'- कुछ इस विचार से हिंसा करते हैं। 'यह मुझे मारेगा'- कुछ इस विचार से हिंसा करते हैं।
- आचाराङ्ग (1/1/6/6)