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________________ दृढरथ ५ बिजय तीर्थकरनाम मातृनाम पितृनाम लक्षण धनुष्काय. देवलोक च्यवन नक्षत्र श्रुत देवता सुविधि रामा सुग्रीव मकर १०० आनत मूल महाकाली शीतल नन्दा श्रीवत्स ६० प्राणत पूर्वाषाढा गौरी श्रेयांस विष्णु . विष्णु गेण्डा ? अच्युत श्रवण गान्धारी वासुपूज्य जया वसुपूज्य महिष ७० प्रारणत शतभिषा सर्वास्त्रमहा ज्वाला विमल श्यामा कृतवर्म वराह ६० सहस्रार उत्तरभाद्रपद मानवी अनन्त सुयशा सिंहसेन श्येन ५० प्रारणत रेवती फरिणराजजाया? धर्म सुवता भानु वन अच्छुप्ता शान्ति प्रचिरा विश्वसेन हरिण ४०. सर्वार्थ कुन्थु श्री सूर छाग कृत्तिका महामानसी पर देवी सुदर्शन । नन्दावर्त शान्ति मल्लि प्रभावती कुम्भ कलश जयन्त अश्विनी ब्रह्मशान्ति मुनिसुव्रत पद्मावती सुमित्र प्रानत श्रवण अम्बा नमि . वप्रा विजय उत्पल प्राणत अश्विनी नेमि शिवा समुद्रविजय शंख १० अपराजित चित्रा प्रम्बा पार्श्व वामा अश्वसेन सर्प ६ हाथ प्राणत विशाखा सरस्वती बीर त्रिशला सिद्धार्थ सिंह हाथ प्राणत हस्तोत्तरा ? पुष्य भरणी मानसी ३० " रेवती ___ २३. सर्वजिनपन्चकल्यापाक-स्तोत्र - इस स्तोत्र में कवि ने २४ तीर्थंकरों के पांचों कल्याणकों के समय का वर्णन मासतिथि आदि पूर्वक २६ आर्याओं में किया है। जिसमें प्रथम पद्य में जिनेश्वर को नमस्कार करके चौवीस तीर्थंकर के प्रत्येक के च्यवन, जन्म, दीक्षा, ज्ञान और निर्वाण का वर्णन कहने की प्रतिज्ञा की गई है और २ से २६ पद्यों तक मास, तिथि, तीर्थंकर-नाम और कल्याणक का उल्लेख करते हुए “यह पद प्रणतजनों (जिनवल्लभ) को प्राप्त हो" कहकर स्तोत्र पूर्ण किया गया है। स्तोत्र के विषयों का क्रमशः वर्गीकरण इस प्रकार है:कार्तिक कृष्णा ५ संभवनाथ केवलज्ञान पद्मप्रभ जन्म नेमिनाथ च्यवन पद्मप्रभ महावीर निर्वाण सुविधिनाथ केवलज्ञान अरनाथ मार्गशीर्ष कृष्णा सुविधिनाथ । जन्म दीक्षा दीक्षा शुक्ला वल्लभ भारती ] [ ११५
SR No.002461
Book TitleVallabh Bharti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherKhartargacchiya Shree Jinrangsuriji Upashray
Publication Year1975
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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