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जैनत्व जागरण.......
are born. live, fight and even die like the people of the earth. नाभि और ऋषभदेव की स्तुति में प्रार्थनायें भी कही जाती थीं । तथा उनके सन्मान में जुलूस भी निकाले जाते थे । 'The German Excavating Society has recently brought to light the old procession street between babyion and Borshippa over which the image of god Nabu used to be Carried on his visit. to Marduk at Babylon (History of Mesopotamia).' From pg 104, 105
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दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ जो सगर राजा के समय हुए थे उनका भी पश्चिम में जन्म स्थान रहा होगा । उत्तराध्ययन सूत्र के सत्रहवें अध्याय में सगर राजा का साम्राज्य भारत वर्ष तक था ऐसा लिखा है। पुराणों के आधार पर भी सगर राजा का साम्राज्य सीरिया और बेबीलोन से लेकर भारत तक फैला हुआ था । सगर राजा की राजधानी अगैड थी जो अयोध्या की ही पर्याय मानी जाती है I सगर राजा के समय ही उनके ६०,००० पुत्रों द्वारा तिब्बत में कैलाश पर खाई खोदने का वर्णन आता है । दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ भगवान का लांछन हाथी है । प्राचीन समय में मेसोपोटामियन हाथी बहुत प्रसिद्ध थे । मक्का के पास पेट्रा में जो प्राचीन मंदिरों में जो मूर्तियाँ थी उनमें अजितनाथ भगवान को अजह के नाम से पूजा जाता था । एक और महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य उल्लेख मिलता है । इजेप्ट का नाम अज से पड़ा । अतः अजितनाथ से निश्चय रूप से इस क्षेत्र का संबंध होना स्वाभाविक है ।
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बेबीलोन का नाम ऋषभदेव के पुत्र बाहुबली के नामपर पड़ा ऐसा कुछ विद्वानों का मत है | Thomas Maurice ने अपनी किताब The History of Hindustan, its Art and its Science में लिखा है कि- The original Sanskrit name of Babylonia is Bahubalaneeya, the realm of king Bahubali.'
सीरिया का नगर ंरषाफा तथा बेबीलोन का नगर इसबेकजुर ऋषभ शब्द का अपभ्रंश है । रेशेफ (ऋषभ का विकृत रुप) चल्डियन देवता नाबू तथा मूरी (मरुदेवी) के पुत्र माने गये है । असीरियन Godderr Mylith का वर्णन हमें मिलता है जो १९ वें तीर्थंकर मल्लिनाथ से साम्य रखता I