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________________ २८८ जैनत्व जागरण..... २. भग्न दिगम्बर जैन प्रतिमा : कई एक टूटी मूर्ति मिट्टी में पड़ी हुई दिख जाती है । एक तीर्थंकर मूर्ति का निचला भाग हमें देखने को मिलता है। पहले सारी मूर्ति कमल के ऊपर कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़ी थी। दोनों तरफ २४ तीर्थंकरों की मूर्तियाँ खुदी हुई थी । टूटे हुए अंश के ऊपर की तरफवाली मुंह की स्थिति अब भी उतनी ही सुंदर है । उस अंश में गंधर्व-गंधवी और नीचे चामर पकड़ी हुई एक स्त्री और एक पुरुष मूर्ति नजर आती है । मूर्ति के एकदम नीचे दो हाथी की आकृतियाँ खुदी हुई है । इससे अनुमान किया जा सकता है कि यह तीर्थंकर अजितनाथ की मूर्ति रही होगी । बान्दा का देवालय पुरुलिया के पत्थर से बने देवालयों में पूर्ण स्थिति में बान्दा का देवालय खड़ा है। सरकारी देखरेख में होने के कारण और कालीसाधन दास नाम के संरक्षक के कारण इस देवालय का भाग्य दूसरे देवालयों में कहीं अच्छा है। रघुनाथपुर से जो सीधा रास्ता चेलियामा की तरफ चला गया है, उस पर से जाते समय बानादा गाँव पड़ता है । मूल सड़क से १. किलोमीटर के फासले पर यह देवालय बना हुआ है। देवालय से थोड़ी दूर पर ईंटों का विशाल खंडहर है । लगता है कि यहाँ पत्थर के देवालय के साथ-साथ कई ईंटों के भी देवालय बने थे जैसे पाड़ा, पाकबिड़रा, देउलघाटा में पाया जाता है। अभी ये सारे विलुप्त हो चुके हैं । फिर भी उनके खंडहर पड़े हुए हैं । यहाँ इस खंडहर को खोदने पर भी लगता है बहुत सारे पुरातात्त्विक अवशेष निकल आएगे । अभी भी इस इलाके में कुआ खोदने पर, घर की भीत काटने पर, पुराने समय की मुद्रा, औजार आदि निकल आते हैं । इन्हीं से प्रमाणित होता है यहाँ एक मानव सभ्यता विद्यमान थी। किसी भी कारणवश वे स्थानांतरित हो चुके हैं। अभी जो परिवार यहां बस रहे है, वे यहां के आदि निवासी नहीं है। वे तेलकूपी के निवासी है, किन्तु १९५७ में दामोदर वैली कॉरपोरेशन के पानी में तेलकूपी डूब जाने पर वहाँ के लोग यहां आकर बसने लगे।
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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