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जैनत्व जागरण.....
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दिनांक ३० दिसम्बर से ४ जनवरी २००९ तक बंगाल के पुरुलिया नामक जिले के सराक क्षेत्रों का भ्रमण किया गया जिसमें पंचकोट स्थान पर एक गुफा देखने को मिली। यह गुफा पहाड़ी में ३०० फीट पर असुरक्षित पड़ी है तथा बहुत प्राचीन है। हमलोग रास्ता खोजते-खोजते ऊपर चढ़े। जिन लोगों ने इस गुफा की खोज की वे लोग हमारे साथ थे । गुफा में तीर्थंकर मूर्ति अंकित है। इसी गुफा के ठीक ऊपर १५०० फीट ऊपर एक
और गुफा की खोज मिली है लेकिन अभी उसका द्वार पूरा नहीं खोला गया। इस गुफा के अलावा २००० से २५०० वर्ष पुरानी मूर्तियां और मंदिरों के भग्नावेश भी देखने को मिले है जो सराक शैली के है । ये प्राचीन मूर्तियां खुले आकाश के नीचे रखी हुई है । जिनमें तेलकूपी के भैरवनाथ तथा पकवीरा के महाकाल भैरव दोनों ही वर्द्धमान महावीर की मूर्तियां है जो महाकाल भैरव के नाम में रूपान्तरित हो गई है । मि. कूपलैण्ड के अनुसार Mr. Dalton ने इन्हें ५०० से ६०० ई. पूर्व का बताया है । “Mr. Dalton placed them in the district as far back as five hundered or six hundred years before christ identifying the colossal image now worshipped at pakbirra under the name of Bhairav." अभी तक जो कुछ सुना या पढ़ा था उसने मुझे वहा जाने के लिये प्रेरित किया ।और जब वहाँ जाकर देखा तो दंग रह जाना पड़ा इस अंचल की पुराकीर्ति को देखकर । पुरुलिया, बाकुड़ा, मानभूम, सिंहभूम आदि सभी अंचलों में सराकों द्वारा निर्मित इतने प्राचीन मंदिर और मूर्तियाँ है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
२ फरवरी १९९८ के आजकल समाचार पत्र में पुरुलिया के पकवीरा नामक स्थान के विषय में लिखा है “पकवीरा में पहले छ: फुट पर, फिर पाँच फुट पर और थोड़ा खोदने पर लगभग सात फुट पर पत्थर की प्राचीन मूर्तियाँ निकल रही है । प्रायः दस वर्षों से यही क्रम चल रहा है। प्रारम्भ में अचानक पत्थर की तीन विशाल मूर्ति निकली उसके बाद से यह सिलसिला शुरू हो गया और आज भी छोटी बड़ी सभी मूर्तियाँ निकल रही है। गाँव के वृद्धजनों की धारणा है कि पकवीरा में कम से कम ५०० मूर्तियाँ अभी