SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८ जैनत्व जागरण....... को वितरित करें तथा जैनत्व पर बल दें । दान का प्रवाह इस ओरभी दौडायें । यहाँ कार्यरत् गुरु भगवंतो, ट्रस्टों आदि को यथाशक्ति सहयोग की भावना रखें 'एवं सदैव अनुमोदना करके शासन समर्पित विभूतियों का मनोबल बढ़ाएँ । दर्शन - ज्ञान - चारित्राराधक ट्रस्टों-संघों से निवेदन धर्मप्रचारकों की विशाल टीम बनाई जानी चाहिए। जिस प्रकार तेरापंथ जैनो में समण - समणीरुप धर्मप्रचार टीम है, वैसे ही श्वेताम्बर - दिगम्बर दोनों में धर्मप्रचारक परिषद होना चाहिए। जैसे अनेक युवा पर्युषण कराने भारतभर में जाते हैं, वैसे ही एक व्यवस्था के अनुरुप सराक गाँवों में भी धर्मप्रचारकों नियत ड्रेसकोड से पधारना चाहिए । एक समर्थ संघ एक सराक गाँव दत्तक (गोद) ले तथा आचार्य भगवंत के मार्गदर्शन से एक मंदिर देवद्रव्य से बनाया जाए । इतिहासविद श्रावकों को साथ लेकर इन क्षेत्रों की पुरातात्त्विक शोध एवं वहाँ के पुरातात्त्विक विभाग सरकार आदि से नियत संपर्क में रहने के लिए छोटी टीम तैयार की जा सकती है । जहाँ जहाँ तीर्थों में, मंदिरों में, जैन भवनों में कर्मचारी । कार्यकर्त्ताओं की आवश्यकता हो, तो प्रथम रुप से सरांक भाईयों को ही बुलाया जाए ताकि वे एवं उनका परिवार जैन धर्म से जुड़े । स्थानीय भाषाओं मं पत्र-पत्रिकाएँ आदि का प्रकाशन एवं सराक भाईयों के मध्य में प्रचार किया जा सकता है जिससे इन भाईयों को अपनी वास्तविक पहचान पता चले । पाठशालाओं का संस्थापन - संचालन, गुरुदेवों की विहार में सहयोग इत्यादि ॥ समाज के प्रबुद्ध विचारकों के पास इसी प्रकार के अनेकों सुझाव
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy