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जैनत्व जागरण......
यास्क ने अपने निरुक्त ६ । ३२ में कीकट प्रदेश को अनार्यों का निवास स्थान बताया है (कीकटो नाम देशो अनार्य निवास) ।
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पुराणों के अनुसार जन्हु की पीढ़ी में कुश और उसका भाई अमूर्तया हुआ और अमूर्तया के पुत्र गय के नाम से गया नाम का राज्य हुआ जो आगे चलकर मगध कहलाया । इसके काफी समय बाद कुरु की पाँचवीं पीढ़ी में वसु नाम का प्रतापी राजा हुआ जिसने मगध से मत्स्य देश तक अपना राज्य स्थापित किया और उसको पाँच पुत्रों में बाँट दिया । उसका एक पुत्र बृहद्रथ मगध का राजा बना जिसके नाम से ही बार्हद्रथ वंश की नींव पड़ी । बार्हद्रथ वंश में ही जरासंघ नामक प्रतापी राजा हुआ जिसका उल्लेख महाभारत में तो है ही, जैन ग्रन्थों में भी हमें मिलता है । उसके समय गिरि ब्रज मगध की राजधानी थी । महाभारत के समय में श्री कृष्ण ने भीम और अर्जुन के साथ इसी गिरि ब्रज में प्रवेश किया था । कृष्ण ने अर्जुन को इस गिरिब्रज के वैभव के विषय में वर्णन करते हुए कहा कि- “हे पार्थ ! देखो, मगध राज्य का महानगर कैसा सुशोभित है । उत्तमउत्तम अट्टालिकाओं से सुशोभित यह महानगरी सुजला निरुपद्रवा और गवादि से पूर्ण है । वैभार, वराह, वृषभ, ऋषिगिरि तथा चैत्यक ये पांचों शैल सम्मिलित होकर गिरिब्रज नगर की रक्षा कर रहे है ।" ( महाभारत, सभा)
कनिंघम के अनुसार Kusagrapur was the original capital of Magadha which was called Rajagriha of ‘Royal Residence.' It was also named Girivraja on hill surrounded which agrees with the 'Hiuen Tsang's description of it as a town surrounded by mountains. FaHien.... states that the five hills from a girdle like the walls of a town, which is an exact description of old Rajagriha or Purani Rajagir as is now called by the people.
जरासंघ बड़ा प्रतापी राजा था उसने अंग, बंग, पुण्ड्र, करुस और चेदि देश को अपने प्रभावाधीन कर लिया था । आवश्यकचूर्णि में मगहसिरी गणिका का उल्लेख मिलता है जो जरासंघ की गणिका थी । बार्हद्रथ वंश के बाद मगध में हर्यक वंश का शासन स्थापित हुआ जो नागवंश की ही