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________________ जैनत्व जागरण..... कुल संख्या - ५ लाख मूल देश - पाली से निकले जैन पालीवाल कहलाने लगे. आज का समय - आज कई पालीवालो ने फिर से जैन धर्म में प्रवेश कर लिया है । पालीवाल क्षेत्र में जैन साधु-साध्वी मंडल का विचरण आवश्यक है। क्योंकि इन भाइओं में अभी भी धर्म के प्रति अज्ञानता व असमंझसता खूब है। धर्म करने की रुचि भी बहुत कम है। लेकिन अगर जागरण किया जाए तो जागृति आ सकती है। ५०% लोग अभी भी अन्यधर्मी है । उनको फिर से जैन धर्मी बनाना चाहिए । (२) अग्रवाल जैन : प्रदेश : मध्यप्रदेश - उत्तरप्रदेश - दिल्ली - पंजाब राजस्थान आदि संख्या ५० लाख . . अग्रवाल जैन - घटती आबादी प्राचीन काल में भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के पश्चात् उसी परंपरा में लोहाचार्य हुए है । उन्होंने अपने पुरुषार्थ के बल पर मथुरा से पंजाब प्रांत तक फैली अग्रवाल समाज को जैन धर्म में पुनर्दीक्षित किया था । उसके पश्चात् अग्रवाल जैनों ने पूरे भारत में ही नही बल्कि विश्व स्तर तक जैन धर्म की पताका को फहराया । ११वीं शताब्दी में पूरनमल जी द्वारा शिखर जी की यात्रा संघ निकालने का उल्लेख तथा १३वीं शताब्दी में पार्श्वनाथ जिनालय महरौली योगनीपुर में अनेक शास्त्रों की रचना करवाने वाले लट्टल शाह का उल्लेख विशेष तौर पर जाना जाता है । मुगलों के आतंक का इन जैनों ने कड़ा मुकाबला किया । परंतु १८वीं शताब्दी के बाद जब हम इतिहास पर नजर डालते हैं तो देखते हैं कि तेजी से यह समाज वैष्णव धर्म की तरफ झुक गया तथा आज अग्रवाल जैन मुख्यधारा से हटकर अन्य धर्मों की तरफ जा रहे हैं। प. बंगाल, झारखंड आदि प्रदेशों में सरावगी बंध (अग्रवाल जैन) जिनके पूर्वजों ने राजस्थान से जाकर वहाँ व्यापार फैलाया तथा मंदिर बनवाए, वे सभी आज जैन परंपरा से हटकर अन्य मत की तरफ झुक गए हैं। रघुनाथपुर आदि छोटे-छोटे कस्बों में रहने वाले सभी सरावगी आज जैन धर्म का
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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