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________________ ४० समन्वय, शान्ति और समत्वयोग का आधार अनेकान्तवाद एक अंत में - एक स्वरूप में - एकान्त में नहीं मानते । उनकी दृष्टि अनेकान्त है । उनका कहना है कि किसी एक कारण से सभी कार्य होते हैं ऐसा मानना एकान्तसूचक है । एकान्त मिथ्यात्व है जबकि अनेकान्त सम्यक्त्व है। ___ पाँच ऊगलियाँ अथवा दो हाथ जब मिलते हैं तब कोई कार्य सम्पन्न होता है। हाथ नहीं हो तो हम कुछ पकड नहीं सकते और पाँव के बिना चलना असम्भव है। दो हाथों के बिना ताली नहीं बझती । आग्रह में आकर किसी एक वस्तु या कारण को महत्त्व देने से कोई अर्थ नहीं निकलता । जहाँ तक पाँचों कारण एक साथ नहीं मिलते वहाँ तक किसी भी कार्य का होना असम्भव है।
SR No.002458
Book TitleSamanvay Shanti Aur Samatvayog Ka Adhar Anekantwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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