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मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र.
यतिवर्य श्री केसरविजयजीनी संवेगी दीक्षा.
बीजापुरना श्री संघे आवा वैरागी यतिवर्य पोताना शहेरमां संवेगी दीक्षा लेवाने तत्पर थया जाणी घणो ज आनंद प्रदर्शित करवा साथे संमति आपी, अने दीक्षानुं शुभ मुहूर्त जेठ वदि दशमनुं नक्की करवामां आव्यु. भाविक श्रावकोए आ भाग्यशाळी भव्यात्माने पोत-पोताने घेर आदर-सत्कार पूर्वक निमन्त्रण करी भावपूर्वक भक्ति करी. दीक्षाने दिवसे बेंड विगेरे वाजिंत्रो साथे ठाठमाठथी वरघोडो चड्यो, अने शुभ मुहूर्ते मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजना पवित्र हस्ते संवेगी दीक्षा देवामां आवी, अने मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजना शिष्य तरीके श्री संघ समक्ष जाहेर करवामां आव्या. तेमनुं यतिपणानुं जे नाम हतुं एज नाम मुनि केसरविजयजी राखवामां आव्युं. रजोहरण, पात्रां विगेरे उपकरणोनी बोलीना रूपिया एक हजारनी आवक थइ.
त्रणे शिष्योने अपायेली वडी दीक्षा.
आ नव-दीक्षित त्रणे शिष्य-रत्नोने संयममां दृढ अने सुपात्र जाणी मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजे वडीदीक्षाना योगोद्वहननी क्रिया शरु करावी, अने बीजापुरना उत्साही श्री संघे करेली धामधूम-पूर्वक त्रणे मुनिओने संवत् १९८९ ना असाड शुदि ११ अने सोमवारना रोज वडी दीक्षा देवामां आवी. आ त्रण मुनिवर्यामां मुनिराज श्री केसरविजयजीने मोटा करवामां आव्या. तेमनाथी नाना जीववि