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________________ ३४ मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र. बाद अवार-नवार श्रीफल विगेरेनी प्रभावनाओ थती. मुनिवर्यनी वैराग्यमय देशनाथी श्रावकभाईओ अने श्राविका बहेनोए व्रत-पच्चक्वाण अने विविध तपस्याओ करी आत्मसाधन कयु. वळी आ महापुरुषना शुभ हस्ते हुबलीना श्रीसंघ तरफथी शांतिस्नात्रनो महोत्सव अपूर्व उजवायो. वंदन-दर्शन माटे संसारी कुटुंबीओनुं आगमन. ___मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजने दीक्षित थयाने चार वर्ष पूर्ण थवा आव्या, छतां दूर-दूर प्रदेशमा विचरता होवाथी कुटुंबीओने आटला समय दरम्यान एके वखत दर्शननो संजोग मळ्यो नहिं; अने तेथी तेमनां संसारी मातुश्री विगेरेने वंदन-दर्शन करवानी भावना थइ. संवत् १९८९ ना कार्तिक वदि त्रीजना रोज मुनिवर्यनां संसारी वृद्ध मातुश्री बाइ दीवाळी, बांधव भाणजीभाई, तेमना पुत्र भीखालाल अने प्रभुदास, मुनिराजश्रीना संसारी पुत्र भूपतराय उर्फे बाबु, बहेन अचरत, तथा तेमना पुत्र भोगीलाल पालीताणाथी रवाना थया; अने मुंबई थइ कार्तिक वदि पांचमना रोज हुबली पहोंच्या. पोताना एक वखतना संसारी संबंधी तरीके जन्मेला आ आत्मानी संयममां लीनता, तथा शांत अने वैराग्यमय मुद्रा देखी तेमणे हर्षाश्रु वरसाव्या. तेमणे हुबलीना बन्ने देरासरजीमां ठाठ-माठथी पूजा भणावी, अने व्याख्यान समये व्याख्यान पूर्ण थतां श्रीफलनी प्रभा
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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