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________________ ३२ मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र. मीरजनुं सुप्रसिद्ध बेंड, मुंबइनी संगीत मंडली, अने सुंदर पालखी विगेरे सामग्रीथी वरघोडानी शोभा अनौखी देखाती हती. मुनि महाराज श्री भावविजयजी महाराजनी देशनाथी आ महोत्सवमां दिगंबरी भाईओ पण सामेल थया हता, अने तेथी श्वेतांबर अने दिगंबर भाईओना संप तथा अजोड उत्साही थयेलो आ महोत्सव शासन - शोभामां वृद्धि करतो हतो; अने संवत् १९८८ ना वैशाख शुदि ७ गुरुवारना प्रात:काले शुभ योगे हजारो मनुष्योना भारे आनंद बच्चे प्रतिष्ठानुं कार्य थयुं. आ प्रमाणे रतलाम निवासी यतिवर्य श्रीमान् नेमविजयजीना शुभ हस्ते मुनि महाराज श्री भावविजयजी महाराजना नेतृत्वमां प्रतिष्ठा - विधिनुं शुभ कार्य निर्विघ्न समाप्त थयुं. राणीबिन्नूरमां शांतिस्नात्र महोत्सव, हुबलीमां चतुर्मास. आवी रीते प्रतिष्ठानुं महान कार्य आ प्रतापी महात्मानी आगेवानी नीचे निर्विघ्ने पूर्ण उत्साह साथै खतम थयुं, तेथी मुनिवर्यना प्रभाव माटे सौ कोइने उंचुं मान थयुं. दावणगिरिना श्री संघे तथा प्रतिष्ठा - प्रसंगे आवेला जुदा जुदा गामना प्रतिनिधिओए पोत - पोताना गाममां चतुर्मास करवा माटे विनति करी, परंतु मुनिराजे कह्युं के, " भव्यो ! क्षेत्र फर
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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