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श्री सप्त स्मरणादि नित्यस्मरण.
( ढाल ) एम कही जक्ष आयो राते, सारथवाहने सुहणे जी । पास तणी प्रतिमा तुं लेजे, लेतो सिर मत धूणे जी; एम०१३ पांचसै टक्का तेहने आपे, अधिको म आपिस वारू जी । जतन करी पहुंचाडे थानिक, प्रतिमा गुण संभारै जी; एम०१४ तुझने होसी बहु फलदायक, भाई गोठी सुणजे जी। पूजीस प्रणमीश तेहना पाया, प्रह ऊठीने थुणजे जी; एम०१५ सुहणो देईने सुर चान्यो, अपने थानक पहुतो जी । पाटण माहे सारथबाहु, हीडे तुरकने जोतोजी; एम० १६ तुरकै जातां दीठो गोठी, चोखा तिलक लिलाडै जो। संकेत पहुतो साचो जाणि, बोलावै बहु लाडै जी; एम० १७ मुझ घर प्रतिमा तुझनें आपुं, पास जिणेसर केरी जी। पांचसै टक्का जो मुझ आप, मोल न मांगु फेरी जी; एम०१८ नाणो देई प्रतिमा लेई, थानक पहुतो रंगै जी । केसर चंदन मृगमद घोली, विधिसुं पूजा रंगे जी; एम० १६ गादी खडी रूनी कीधी, ते मांहि प्रतिमा राखै जी। अनुक्रम आव्या परिकरमांहे, श्रीसंघ ने सुर साखै जी; एम०२० उच्छव दिन दिन अधिको थावे, सत्तर भेद सनात्रो जी। ठाम ठामना दरसण करवा, आवै लोक प्रभातो जी; एम० २१
( दुहा ) इंक दिन देखै अवधिसुं, परिकर पुरनो भङ्ग । . ...जतन करूं प्रतिमा तणो, तीरथ अछे अभंग ॥ २२ ॥