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॥यत्र २९॥
सिंहासने मणिमयूरवशिखाविचित्रे . ही अर्हगमोघोरतवाएगईगमोएरामिक
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तुङ्गोदयाद्रिशिरसीबसहस्ररश्मेः २९ जागईक यदुमच्चसर्वसिहि नमःस्वाहा ।
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स्स्स रापासविसहरफुलिंगमंतोविसहरनामरकाः विभ्राजते तववपुः कनकावदातम् ।
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एऐ प्रोमो रमंतोसर्वसिदिमीहे इहसमरंताराम बिम्बंवियदिखसदसतावितान
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