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________________ स्तोतुंसमुद्यतमतिर्विगतत्रपोऽहम् परमतत्त्वार्थभावकार्यसिद्धिः बुद्ध्याविनापिविबुधार्चितपादपीठ नमो भगवते नो परमोहिजियाएान हे मो हींग्रह की की क्लीं क्रीं क्लीक्लीं कि योनम स्वाहा 1. क्रीं बुद्धेभ्यः सर्वसिद्धि -हीं श्रीक कीली की हांहीं बालं विहाय जलसंस्थितमिन्दुबिम्ब असरूपाय नमः मन्यः क इच्छसिजनः सहसाग्रहीतुम् ३ कस्ते क्षमः सुरगुरुप्रतिमोऽपिबुद्धया सौं सों सों सौं सौं सौं सौं जिलाएर्नुहीं श्रीली जलयात्रा -ग्लो ग्लोम्नोग्लोंग्जोंग्लों, गुणान्गुणसमुद्रशशाङ्ककान्तान् एमोसबोहि सौं सौं सौं सौं सौं सौं सौं 在 ग्लोग्सोंग्सोंग्सग्लग्नों स्वाहा । , ग्लोग्लोग्स सौंसों सीं सौं सौं सौं सौं कल्पांतकाल पवनो इतनकचक जलदेवताभ्यो नमः सौं सौं सों सौं सौं सौं सौं कोवातरीतुमलमम्बुनिधि भुजाभ्यां ४
SR No.002453
Book TitleBhaktamar Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherShastra Swadhya Mala
Publication Year1974
Total Pages152
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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