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________________ (५) २०-यन्त्र को अपने पास रखने से तथा मन्त्र को १०८ बार जपने से सन्तान प्राप्त होती है, लक्ष्मी का लाभ होता है, सौभाग्य बढ़ता है, विजय मिलती है, बुद्धि बढ़ती है। पाता है। शुद्धि बढ़ता है। • '२१-यन्त्र अपने पास रखने से तथा प्रतिदिन १०८ बार ऋद्धिमन्त्र ४२ दिन तक जपने से सब अपने आधीन हो जाते हैं। . २२-यन्त्र गले में बांधने से तथा हल्दी की गांठ २१ बार मन्त्र द्वारा मंत्रित करके चबाने से भूत, पिशाच, खुडेल आदि दूर हो जाती हैं। - २३-पहले १०८ बार मन्त्र जप कर अपने शरीर की रक्षा करें फिर जिसको प्रेत बाधा हो उसे झाड़ें, यन्त्र पास रक्खे तो प्रेतबाधा दूर होती है। ' २४-प्रतिदिन १०८ बार मन्त्र जपना चाहिये । २१ बार मन्त्र पढ़ कर राख मंत्रित करके उसे शिर पर लगाने से शिर पीड़ा दूर हो जाती है। २५-ऋद्धि और मन्त्र के जपने से तथा यन्त्र को पास में रखने से धीज उतरती है तथा आराधक पर अग्नि का प्रभाव नहीं होता। .. २६-ऋद्धि-मंत्र द्वारा १०८ बार तेल मंत्रित कर के शिर पर लगाने से तथा यन्त्र अपने पास रखने से आधा शीशी आदि शिर के रोग दूर हो जाते हैं। उस तेल की मालिश करने से तथा मंत्रित जल पिलाने से प्रसूति शीघ्र आराम से हो जाती है। .. २७-काली माला से ऋद्धि-मन्त्र का जाप करने से, प्रतिदिन एक बार अलोना भोजन करने से तथा कालोमिर्च से हवन करने पर शत्रु का नाश होता है। ऋद्धि और मन्त्र का जाप करते रहने से तथा यन्त्र अपने पास रखने से शत्रु मन्त्र आराधना में कुछ हानि नहीं पहुंचा सकता।
SR No.002453
Book TitleBhaktamar Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherShastra Swadhya Mala
Publication Year1974
Total Pages152
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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