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________________ ११२ ] [ तित्थोगाली पइन्नय पंचनवतिः चतुरशीतिः, पञ्चषष्टिः षष्टिः तथा च षड्पञ्चाशत् । पञ्च पञ्चाशत् त्रिंशत् द्वादश, दश त्रीणि एकं सहस्राणि ।३७३। सप्तशतानि शतमेकं, वर्षाणां द्वासप्ततिश्च । पञ्चार्द्धशत (४५०) जिनचक्रिकेशवानां आयुप्रमाणं मुनेतव्यम् । ३७४।) [ चतुर्भिःकुलकम् ] पांचवीं पंक्ति :... पांचवीं पंक्ति के पहले घर से लेकर सेंतीसवें घर तक क्रमशः निम्नलिखित रूप में लिखा जाय :-- ८४ लाख पूर्व, ७२ लाख पूर्व, साठ लाख पूर्व, ५० लाख पूर्व, ४० लाख पूर्व, ३० लाख पूर्व, २० लाख पूर्व, १० लाख पूर्व, २ लाख पूर्व, १ लाख पूर्व...।३७१।। ८४ लाख वर्ष, ७२ लाख वर्ष, ६० लाख वर्ष ३० लाख वर्ण, १० लाख वर्ष, ५ लाख वर्ण, ३ लाख वर्ष, १ लाख वर्ष--३७२। ६५ हजार वर्ष, ८४ हजार वर्ष, ६५ हजार वर्ष, ६० हजार वर्ष, ५६ हजार वर्ष, ५५ हजार वर्ष, ३० हजार वर्ष, १२ हजार वर्ष, १० हजार वर्षे, ३ हजार वर्षे, १ हजार वर्ष---।३७३। . ७०० वर्ष, १०० वर्ष और ७२ वर्ष। यह पांच भरत और पांच ऐरवत--इन दशों क्षेत्रों के कुल मिलाकर ४५० . तीर्थंकर-चक्रीऔर वासुदेवों की आयु का प्रमाण समझना चाहिए ।३७४। चुलसीति वावचरि, सट्ठी पण्णास चत्त तीसा य । वीसा दस दो एगं च, होंति पुव्वाण लक्खाई ।३७५ । चउरासी य बावत्तरि य, सट्टी य होइ नायव्वा । तीसा दसेव एगं च, वासलक्खा मुणेयव्वा ।३७६। पञ्चाणउइ सहस्सा, चउरासीति य पंचपण्णा य । .. तीसा दस एग सहस्सं, सयमेगं य बावत्तरि वीरे ।३७७।
SR No.002452
Book TitleTitthogali Painnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherShwetambar Jain Sangh
Publication Year
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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