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________________ ११० ] इसे और स्पष्ट करते हुए कहा है ऋषभदेव की ऊंचाई ५०० धनुष पार्श्वनाथ की ऊंचाई 8 मुड हाथ ( रत्नि) और भगवान महावीर की ऊंचाई ७ रत्नि / मु ंड हाथ ) थी । शेष आठ तीर्थंकरों की ऊंचाई अनुक्रमशः पचास पचास धनुष, पांच तीर्थंकरों की दश दश धनुष और प्राठ तीर्थंकरों की ऊंचाई पांच-पांच धनुष कम होती गई है । ३६६। [ तित्थोगाली पइन्नय पंचसय अद्धपंचम, बायाला चेव अह पुणे । चाइयाला अद्ध ध च चउत्थ पंचमे चत्ता ३६७। , पणतीसा तीसा पुण, अट्ठावीसा तह वीस य धणूइ । परसा बारसेव य, गुणि सत्तव चक्कीणं | ३६८ | } 1 (पंचशत अर्द्ध पञ्चम, द्विचत्वारिंशच्चचैव अथ पुनः । चत्वारिंशदर्ध धनुश्च चतुर्थे, पञ्चमे चत्वारिंशत् । पञ्चत्रिंशत् त्रिंशत्पुनः, अष्टविंशतिस्तथा विंशतिश्च धनूंषिः पञ्चदश द्वादशैव च धनूंषि सप्तैव चक्रीणाम् ।।) , चक्रवर्तियों की ऊंचाई : ५०० धनुष, ४५०, ४२, ४०३, ४०, ३५, ३०, २८, २०, १५. १२ और ७ धनुष - यह क्रमशः बारह चक्रवर्तियों के शरीर की थी । ३६७-३६८। पढमो घणूणसीति, सतरि सट्ठी य पण पणयाला । उणतीसा छव्वीसा. सोलस दस केसवुच्चत | ३६९/ (प्रथमः धनूंष्यशीतिः, सप्ततिः षष्टिश्च पञ्चाशत् पञ्चचत्वारिंशत् । एकोनत्रिंशत् षड् विंशतिः, षोडश दश केशवोच्चता । ) वासुदेवों की ऊंचाई : : ८०, ७०, ६०, ५०, ४५, २६, २६, १६ और १० धनुष - यह क्रमशः & वासुदेवों (केशवों) के शरीर की ऊंचाई थी । ३६६ |
SR No.002452
Book TitleTitthogali Painnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherShwetambar Jain Sangh
Publication Year
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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