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लेखक का संक्षिप्त परिचय.
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ही किया जायगा आशा है पाठकगण अभी इतने से ही संतोष मान लेंगे ।
चातुर्मासों का विवरण लिखने के पहले यह आवश्यक है कि मुनिश्री के उन विशेष गुणों का वर्णन किया जाय जिन के कारण कि सर्व साधारण के हृदय में आपने घर कर रक्खा है । छोटे से बालक से लेकर वृद्धतक प्रत्येक व्यक्ति यही चाहता है कि मुनिश्री की मुखमुद्रा का दर्शन करता रहूं तथा आप की सुमधुर वाणीद्वारा सदुपदेश का अमृतपान करूं । जो लोग आप से परिचय है उस का चित्त नहीं चाहता है कि मुनिराज मुझ से दूर हो तथापि आप एक स्थानपर अधिक नहीं ठहरते निरन्तर विचरण कर आप प्रत्येक ग्राम में पहुंच कर धर्मोपदेश सुनाने का प्रगाढ प्रयत्न करते रहते हैं । इस बात का प्रमाण पाठकों को आगे के चरित्र के पठन से भली भांति विदित होगा ।
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आप का जीवन अनुकरणीय एवं आदर्श है । आप के अनुपम त्याग, सत्यान्वेषण, तप, धर्म और जिज्ञासा का यदि सविस्तार वर्णन किया जाय तो एक बड़े ग्रंथ का रूप हो जाय । इस महात्मा के उपदेश, वार्तालाप, व्यवहार, कार्य, भाव और विचारों पर मनन करने से परम शांति प्राप्त होती है और साथ में सदा यही इच्छा उत्पन्न होती है कि इसी प्रकार से जीवन बिताना प्रत्येक व्यक्ति का लक्ष्य होना चाहिये । आप के जीवन की घटनाओं से हमें यह पता मिलता है कि एक व्यक्ति का