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लेखक का संक्षिप्त परिचय |
संगत नहीं होगा यदि पाठकों की सेवामें "जैन जाति महोदय " ऐतिहासिक महान् ग्रंथके प्रणेता पूज्यपाद इतिहासवेत्ता मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी का पवित्र चरित्र रखते अति हर्ष है । हमारी अभिलाषा बहुत दिनों से थी कि ऐसे महात्मा का जीवन जो आदर्श एवं अनुकरणीय है पाठकों के सामने इस उद्देशसे उपस्थित किया जाय कि अपने जीवनोद्देश को निर्माण करते समय वे इसे लक्ष्य में रक्खे |
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Full many a gem of purest way screne,
The dark unfathomed caves of ocean bear; Full many a flower is born o blush unseen,
And waste it- sweetness on t'de desert air. अहा ! उपरोक्त पंक्तियों में सचमुच किसी मनस्वी कविने क्या ही उत्तम कहा है । ऐसे रत्न भी है जो अत्यन्त उज्जवल एवं प्रभावान हैं परन्तु समुद्र की खोखलों में पड़े हुए हैं और ऐसे भी कुसुम हैं जिनके सौन्दर्य व सुगन्ध का अनुभव कोई नहीं जान पाता परन्तु क्या वे रत्न उन रत्नों से किसी प्रकार भी कम हैं जो हाट हाट में बिकते और मनुष्यों की दृष्टि में पड़ कर प्रशंसा पाते हैं ? क्या वे पुष्प जो अपनी मनोहारिणी सुगंध को