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________________ ....११८ जैनजाति महोदय. उप केशपुर में स्वयंभू महावीर मूर्तिकी अाशातना... उपकेशपुर में महान् उपद्रव (अशान्ति).... ... प्राचार्यश्री का अष्टम तप करना । देवी का आना.... विधि विधानसे अष्टोतरी पूजासे शान्ति.... भगवान महावीर प्रभु की वंशपरम्परा ....१०५ आचार्य सौधर्म स्वामी ....१०५ आचार्य जम्बु स्वामी .....१०७ प्राचार्य प्रभव स्वामी .... ....११४ प्राचार्य शिव्यंभव सूरि .... पायार्य यशोभद्र सूरि ... ....१२० आचार्य सम्भूतिविजयसूरि .... ....१२१ • आचार्य भद्रबाहु सूरि ... ...१२२ प्राचार्य स्थूलभद्र सूरि प्राचार्य महागिरि सूरि ... ....१३७ प्राचार्य सुहस्ति सूरि ....१३६ __ . प्राचार्य सुस्थित सूरि . भाचार्य इन्द्रदिन सूरि ... ....१४४ मेन इतिहास..... ..... .... .... ...१४६ भगवान् भादिनाथ से सुबुद्धिनाथ तक जैन धर्म....१४६ मिथ्यात्वकी प्राबल्यता और आर्य वेदोंका परिवर्तन १४७ शान्तिनाथ से मुनिसुव्रतनाय तक .... ...१४८ नमिनाथ से अन्तिम भगवान महावीर तक ....१४६ पार ... .....१३० ....१४४
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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