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________________ जैन जाति महोदय. पोसवाल जाति का आचार व्यवहार की वीरता ܝ 19 99 99 " , 36 "" " "" "" " 19 " ܙܙ " 99 19 19 19 " " ܙ ,, " 59 " 91 का पदाधिकार की मानमर्यादा ܕܙ 4000 का द्रव्य ( व्यापार ) की बोहरगते ( लेनदेन ) का व्यापार क्षेत्र की विशालता के विवाह लग्न .... की औरतों की इज्जत की पौशाक की भाषा .... की महत्वता के घरों मे गौधन का पालन ..... .... .... .... ( ११ ) के याचक.. की सर्वजीवों से मैत्रिक भावना " के गौत्र जातियों सालाचादि प्रोसवाल -- तातेड़, बाफणा, करणावट, बलाहा, मोरख कुमइट, विरहट, श्री श्रीमाल, श्रेष्टि, संचेती श्रदिव्यनाग, भूरि, भाद्र, चींचट, कुंमट, डिडु, कनोजिया, लघुश्रेष्टि. १८ गोत्रों की ४६८ जातियों मोसवाल जातियों के नररत्नों के प्राचीन कवित्त भैसाशाह ( अदित्यनाग । चोरडिया गोत्र .... .... .... .... .... 0804 ... .... .... 194 .... 1040 .... १४
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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