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________________ लेखक का परिचय. ( हम भूले भटके अशिक्षित ज्ञान में पिछड़े हुए मरुधरवासियों के लिये आप ही पथ प्रदर्शक एवं हमारे सर्वस्त्र प्रदीपगृह हैं । हमारे क्षणभङ्गुर जीवन के प्रत्येकांश में आपश्री का-मुक्त मुख परमानन्द दायक दिव्य सन्देश सुनाता रहे । राजस्थान सुंदर साहित्य सदन - मोधपुर | भवदीय चरणाकर श्रीनाथ मोदी जैन, निरीक्षक टीचर्स ट्रेनिङ्ग स्कूल - जोधपुर । " Lives of great men all remind us We can make our lives sublime; `And, departing, leave behind us Footprints on the sands of time. LONG FELLOW— " " !! " " जीवन चरित महा - पुरुषों के, हमें शिक्षणा देते हैं । हम भी अपना अपना जीवन, स्वच्छ रम्य कर सकते हैं 46 हमें चाहिये हम भी अपने, बना जायँ पद चिह्न ललाम | इस भूमी की रेती पर जो, व्यक्त पड़े भावें कुछ काम || " देख देख जिन को उत्साहित, हों पुनि वे मानव मतिघर । जिन की नष्ट हुई हो नौका, चट्टानों से टकराकर ॥ " " लाख लाख संकट सहकर भी, फिर भी साहस बांधे वे । आकर मार्ग मार्ग पर अपना, 'गिरिवर' कारज साधें बे 11 "
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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