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लेखक का परिचय.
(५५) पधारे थे तो श्री ज्ञानवृद्धि जैन पाठशाला तथा श्रीमहावीर मण्डल की स्थापना हुई थी । पुनः खजवाने, रूण और फलोधी होते हुए मेड़ते में श्रीमान स्व. बहादुरमलजी गधैया के अनुरोध से आपने वहाँ सार्वजनिक लेकचर दिया था, जो सारगर्भित तथा सामयिक था । पुनः आप फलोधी पधारे ।
विक्रम संवत् १६८२ का चातुर्मास ( फलोधी ) ।
श्री का उन्नीसवाँ चातुर्मास मेड़ता रोड फलोधी तीर्थपर हुआ । इस वर्ष से चरित नायक का ध्यान इतिहास की ओर विशेष कर्षित हुआ | आपका विचार " जैन जाति महोदय " नामक बड़े ग्रंथ को ग्रथित करने का हुआ । श्रतएव आपने इसी वर्ष से सामग्री जुटाने के लिये विशेष प्रयत्न प्रारम्भ कर दिया । इसी दिन से प्रतिदिन प्रापश्री ऐतिहासिक अनुसन्धान में व्यस्त रहते हैं । आपने खअवाना, नागोर, बीकानेर और फलोधी के प्राचीन ज्ञान भंडारों कि सामग्री को देखा । जो जो सामग्री आप को दृष्टिगोचर हुई प्रापने नोट करली | वही सामग्री सिलसिलेवार जैन जाति महोदय प्रथम खण्ड के रूप में पाठकों के सामने रखी गई है । महाराजश्रीने ऐतिहासिक खोज प्रारम्भ कर के हमारी समाजपर असीम उपकार किया है ।
इस वर्ष निम्नलिखित साहित्य प्रकाशित हुआ
१००० दानवीर झगडूशाहा ( कवित्त ) । १००० शुभ मुहूर्त शकुनावली । १००० नौपद अनुपूर्वी ।