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________________ सरखेज में अहमदाबाद के श्रावक फरमाया है, इसलिए आपको तकलीफ तो होगी पर एक बार अहमदाबाद पधारो। मुनि०-आप समझ गये कि सूरिजी के दिल में मेझरनामा के विषय में गड़बड़ है, अतः अपने कहा, मुझे तो शीघ्रता से ओसियाँ मेला पर पहुँचना है,और अहमदाबाद में ऐसा कोई जरूरी कार्य भी नहीं है, सरिजी की मेरे पर कृपा है जो वे मुझे याद फरमाते हैं, यदि सरिजी ने कुछ काम फरमाया हो तो आप मुझे कह दो, मैं उस पर विचार करूंगा। सम्पत०-काम तो वही मेझरनामा बन्द करवाने का है। मुनि०-तो फिर वहाँ चलने में क्या फायदा है, यह तो मेरी इच्छा की बात है, वहाँ चल कर भी यदि मैं मेझरनामा बंद नहीं करूँ तो चलने में क्या फायदा होगा ? . सेलावास वाले ने मुनिश्री को समझाया कि सरिजी एक बड़े साधु हैं, इनसे प्रतिकूल होकर मेमरनामा छपवाने में आपको क्या लाभ है ? यदि आपकी ऐसी इच्छा हो तो आप बाद में भी छपा सकोगे, अतः फिलहाल हम आये हैं, अतः हमारा कहना मान कर भी आप मेझरनामा को बंद करवा दो ! ___ मुनि०-ठीक है, लो मैं प्रेस वालों को पत्र लिख देता हूँ। मुनिश्री ने एक पत्र तो प्रेस वालों को लिख दिया कि 'मेझरनामा' मत छापो, प्रेस कापी हम जहाँ मंगावें वहां भेज देना, इत्यादि । दूसरा पत्र गुरुवर्य रत्नविजयजी महाराज को लिखा कि मेझर नामा का एक फार्म तो जैन पत्र में वितीर्ण हो चुका है, वह आपके पास पहुँच गया होगा,किन्तु अहमदाबाद में श्री विजयनेमिसुरिजी ने बहुत आग्रह किया है कि मेझर नामा बंद करवादो, इस
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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