________________
४९५
अहमदाबाद के मंदिरों की चर्चा
भेज दिये, मिल मेनेजर ने उनको तीन दिन रख बहाँ से छुट्टी दे दी और सेठजी को लिख दिया कि ये आदमी काम करने में योग्य नहीं हैं, इत्यादि । बस, वे काठियावाड़ी श्रावक वापिस मुनिश्री के पास आए, संयोगवश उस दिन भी आप मुनिश्री के पास गये थे। मुनिश्री ने सेठ को बुला कर कहा कि मैनेजर ने इन आदमियों को छुट्टी दे दी ? सेठ ने कहा, ये काम नहीं जानते हैं । मुनिश्री ने सेठ को इतना फटकारा कि तुम केवल नाम के ही जैन हो, यदि ये लोग मिल का काम जानते तो तुम्हारे यहाँ क्यों आते, बहुत मिले हैं, कहीं भी अपना निर्वाह कर लेते। जाओ इनको मिल का काम सिखात्रो और इनका उद्धार करो; मैं तो और भी कहता हूँ कि ऐसे धर्म से पतित होनेवाला स्वधर्मी पा जावे तो जैनेत्तरों की बजाय जैनों को ही नौकर रखना तुम तुम्हारा कर्तव्य समझो इत्यादि । सेठ ने उन जैनों को पुनः मिल में भेज दिये ।
मुनिश्री ने अहमदाबाद के मंदिरों की यात्रा कर अपने आप को अहोभाग्य समझा । भगवान् श्रीसीमंधर स्वामि के मंदिर में एक लकड़े का हाथों से बनाया हुआ झाड़ देखा तो भारत के प्राचीन शिल्पकला का गौरव आपके हृदव में उत्पन्न हो गया; क्योंकि झाड़ की शाखा शाखा पर नृत्य करती हुई पुतलियें हैं और उस झाड़ के एक चाबी है, वह चाबी देने पर सब पुतलियें नृत्य करने लग जाती हैं, मुख्यतः यह दृश्य देखने योग्य है। ____श्राप करीब एक मास तक अहमदाबाद में विराजे। सेठाणो गंगा बहिन को तो आपके व्याख्यान से इतना प्रेम हो गया कि बिना नागा हमेशा व्याख्यान सुनती थी, मनसुख भाई के वहां से