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________________ पृष्ठ २३२ २३३ २३४ २३४ विषय चन्दनमलजी नागोरी और जैन मन्दिर सवा लक्ष ग्रन्थ का पठन पाठन ३३ -गंगापुर में त्रिवेणी का समागम गंगापुर में कर्मचन्दजी गंगापुर में शोभालालजी गंगापुर में मोडीरामजी ३४-तेरहपन्थी पूज्य का पराजय ३५-मार्ग में मेघराजजी का मिलाप ३६-गुरु शिष्य का अलग २ होना जोधपुर में व्याख्यान मूर्ति पूजा विषयक प्रश्न पूज्यजी को नगरी तार देना शोभालालजी का आना और १२ कलमें गुरु शिष्य का अलग २ विहार इति प्रथम खंड समाप्तम् द्वितीय खण्ड ३७-तिवरी में लूणकरणजी लोढ़ा का मिलाप जोधपुर से महामन्दिर दीपचन्दजी मिलापचन्दजी का मिलाप महामन्दिर से तिवरी लुनकरणजी का मिलाप कर्म प्रन्थ की गाथा का अर्थ २३४ २३४ २४० २४४ २४९ २४९ २४९ २५० २५२ २५६ २६१ २६१ २६२ २६५ २६५ २६६
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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