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आदर्श-ज्ञान
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चाण्डाल योनी में उत्पन्न होता है, इत्यादि । पूज्यजी ने ऐसी हेतुयुक्ति से उपदेश दे कर आपके मन की भ्रांति को निकाल दी और पेशाब पर प्रीति बढ़ादी ।
पूज्यजी ने भंडारीजी को कहा कि अच्छे कार्य में अनेक विघ्न आ जाया करते हैं । आप अब बिल्कुल विलम्ब न करें, क्योंकि जहां तक गृहस्थ के कपड़े गयवरचन्दजी न छोडदें, वहाँ तक कई प्रकार की जोखिम है । आप आज ही रवाना होकर नींबाहेड़े पहुँच जाइये और मगसर कृष्ण ५ को भिक्षाचारी करवा कर समाचार मेरे पास जावरे पहुँचा दीजिये । बस मगसर कृष्णा २ की गाड़ी से भंडारीजी गयवरचन्दजी को लेकर नींबाहेड़े चले गये और कृष्णा ५ को दो पातरे, एक अोघा, चद्दर, चोलपटा इत्यादि साधु का वेश देकर भिक्षाचारी करवानी शुरु करदी और यह समाचार पूज्यजी को भी कहलादिया । बस, पूज्यजी और भंडारीजी की मनोकामना सिद्ध हो गई। भंडारीजी ने थोड़े दिन साथ में रह कर सब क्रिया बतला दी तत्पश्चात् श्रापको अकेला नींबाहेड़े में छोड़कर भंडारीजी पूज्यजी की सेवा में पहुँच गये । ___आपको पांच सुमति, तीन गुप्ति का थोकड़ा पहिले से ही आता था। गोचरी के ४२ तथा १०६ दोष आपके कण्ठस्थ थे। और भी कवित्त, छन्द, चौपाइयाँ और दालों वगैरह का आपको पहिले से ही अभ्यास था, दशवैकालिक सूत्र के शब्दार्थ कण्ठस्थ थे। आप तो उस ग्राम में हमेशा व्याख्यान भी देने लग गये।
नींबाहेड़े से बिहार कर छोटे २ ग्रामों में फिरते हुए जावद आये । इधर पूज्यजी भी जावरा मंदसोर होतेहुए जावद पधार गये। आपका समागम जावद में हुआ। पूज्यजी ने भंडारीजी से कहा