________________
सासु बनी माँ
जैनिज़म के पिछले खण्ड में आपने देखा कि अपने माता-पिता से मदद लेने की अपेक्षा से डॉली ने अपने घर पर फोन करना चाहा और इस तरफ डॉली के भाग जाने के बाद सुषमा का घर से बाहर आना-जाना बंद हो गया था । उनकी इज्जत मिट्टी में मिल चुकी थी। सुषमा का बेटा (डॉली का भाई) प्रिंस अब शादी के लायक हो चुका था । परंतु डॉली के भाग जाने के कारण कोई अपनी लड़की उस घर में देने के लिए तैयार नहीं था ।
तब आखिर सुषमा ने पैसों के बल पर एक मध्यम लेकिन अच्छे खानदान की लड़की खुशबू के साथ प्रिंस की सगाई तय कर दी। सगाई करते ही सुषमा ने अरमानों के महल बनाने शुरु कर दिए। उसने सोचा कि जो सुख मुझे डॉली से नहीं मिला वह सुख खुशबू मुझे देगी। डॉली के लिए तो मुझे सुबह उठकर चाय बनानी पड़ती थी लेकिन अब बहू के आ जाने के बाद मैं आराम से उदूंगी और उठते ही गरमा-गरम चाय मेरे लिए तैयार रहेगी। 25 साल खाना बनाते-बनाते ये हाथ थक गए है। अब इन हाथों को आराम मिलेगा । आदित्य और प्रिंस तो सुबह 9 बजे ही ऑफिस चले जाते है और रात को 9 बजे आते हैं। मैं अकेली घर पर बैठे-बैठे बोर हो जाती हूँ। लेकिन अब बहू के आने से मेरा समय भी अच्छी तरह व्यतीत हो जाएँगा । आजकल के नौकर वैसे भी ज्यादा नहीं टिकते और आए दिन मुझे घर का सारा काम करना पड़ता है। अब बहू के आने के बाद नौकरों की झंझट ही मिट जाएँगी। इस तरफ सुषमा के ख्वाबों से अनजान खुशबू ने भी अपने कुछ सपने संजोये थे कि ससुराल जाने के बाद इतने पैसे वाले घर में मैं रानी की तरह राज करूँगी। अपने अच्छे बर्ताव से सभी का दिल जीत लूँगी। सास-ससुर-पति सभी को अपने वश में कर लूँगी। मेरे ससुराल में किसी को डॉली की याद भी न आए इसलिए सबके साथ बेटी के जैसा व्यवहार करुँगी ।
इस प्रकार अपने-अपने अरमानों को संजोते - संजोते शादी का दिन भी नज़दीक आ गया। और शुभ दिन शुभ मुहूर्त में प्रिन्स और खुशबू की शादी धूम-धाम से हुई । खुशबू जैसी सुंदर और खानदानी पत्नी को पाकर प्रिन्स भी अपनी किस्मत को सराहने लगा। शादी के एक सप्ताह के बाद जिस दिन प्रिंस की भुआ, चाचा-चाची, मामा-मामी आदि विदाई ले रहे थे उस रात खुशबू को सोते-सोते एक बज गया। इसलिए दूसरे दिन खुशबू को उठने में देरी हो गई। परंतु उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं थी क्योंकि वह तो यही सोच रही थी कि मम्मीजी को तो पता ही है कि कल मैं कितनी लेट सोई थी। इसलिए देर से उठना तो स्वाभाविक है। और यहाँ सुषमा यह सोचकर नहीं उठी कि अब तो बहू आ गई है, वह
23