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में जोर से फेंकने पर वह अपने प्राण छोड़ देता है ! इस पद्धति से तो कभी-कभी पूरा गर्भाशय ही बाहर आ जाता है। जिससे स्त्री को कमर दर्द आदि अनेक प्रकार की बीमारियाँ आजीवन भोगनी पड़ती है। विधि : बाप रे बाप भाभी मुझसे नहीं सुना जाएगा। मोक्षा : विधि यह तो कुछ भी नहीं है, तीसरी और चौथी पद्धति सुनोगी तो काँप जाओगी। तीसरी पद्धति है हिस्टेरोटोमी (छोटा सीजेरियन)। इसमें पेट चीर कर सगर्भा स्त्री की आँतों को बाहर निकालकर गर्भाशय को खोलकर जीवित बालक बाहर निकाला जाता है, फिर उसे बाल्टी में फेंक दिया जाता है। हाथ-पैर हिलाता हुआ रोता असहाय बालक बाल्टी में ही मर जाता है। कई बार कोई बालक जल्दी नहीं मरता हे और इधर ऑपरेशन थियेटर में नए केस को प्रवेश देना होता है। अतः उस बाल्टी में रहे बालक को तीक्ष्ण
हथियारों से बांध दिया जाता है। अथवा अन्य प्रहार से उसको मार दिया जाता है। ___ चौथी पद्धति होती है विषैली क्षार पद्धति - एक लंबा व तीक्ष्ण सुआ गर्भाशय में भोंका जाता है। उसमें पिचकारी से अत्यंत क्षार पानी छोड़ा जाता है। चारों ओर
भरे क्षार के पानी से गर्भाशय का बालक थोड़ा-सा क्षार पानी निगल जाता है, उसी समय बालक को हिचकियाँ आने लगती है। विष भक्षण वाले मनुष्य की तरह वह चारों ओर तड़पता है। क्षार की दाहकता के कारण उसकी चमड़ी श्याम हो जाती है और अंत में घबराकर वह बालक गर्भ में ही मर जाता है। उसके बाद वह बाहर निकाल दिया जाता है। कई बार जल्दबाजी में निकालने पर बालक थोड़ा जीवित भी होता है और बाहर निकालने बाद तो थोडी देर में अपने प्राण छोड़ देता है। अब बताओ विधि ! इन चार पद्धतिओं में से कौन सी पद्धति तुम्हारे गर्भ में पल रहा कोमल बच्चा सहन कर पाएगा? विधि : (रोते हुए) प्लीज़ भाभी ! बस करो यह सब सुनकर मैं तो क्या दुनिया की कोई भी माँ अपने बच्चे की हत्या करवाने पर्ल सेन्टर में नहीं जाएगी। पर आप ही बताइए कि तलाक के बाद मैं इस बच्चे का करूँगी क्या?