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________________ जवानी, इतना सुंदर रुप, ये उम्र कोई काम करने की थोड़ी है। एशो आराम करने की है। मौजमस्ती करने की है। (इतना कहकर वह डॉली के और करीब आकर उसे पकड़ने की कोशिश करने लगा) (क्या होगा डॉली के साथ ? क्या वह जॉन के चंगुल से बच पाएगी? या फिर उसके जीवन में फिर कोई अनहोनी घट जाएगी। और इस तरफ डॉली के घर में जयणा से मिले समाधानों से खुशबू और सुषमा के जीवन में मधुरता आ गई। साथ ही सुषमा का परिवार भी धीरे-धीरे धर्म में जुड़ने लगा था। परंतु अभी तक सुषमा एम.सी. का पूर्णतया पालन नहीं करती थी और यही संस्कार खुशबू में भी आने लगे। परंतु जयणा को यह बहुत खटकता था। क्या जयणा उन्हें एम. सी. पालन के महत्त्व को समझा पाएगी? क्या वे दोनों पवित्रता के इस गूढ़ रहस्य को समझकर उसे आचरण में ले पाएगी? उन्हे समझाने के लिए जयणा क्या करती है? आइए देखते है जैनिज़म के अगले खण्ड “पवित्रता का रहस्य" में....) OO No Competition But Solutions ) C OOKILADKKAKAKIRNORARY जैनिज़म कोर्स के पिछले खंड में आपने देखा कि प्रेममय व्यवहार से मोक्षा ने किस प्रकार अपने घर में खुशियाँ लाई। इसी बीच धर्ममय जीवन व्यतीत करते परिवार के साथ हँसते-खेलते 9 महिने तक गर्भ का सुचारु रुप से पालन कर उसने एक लड़के को जन्म दिया। लडके का जन्म होते ही उसने उसे नवकार मंत्र सुनाया और उसकी अच्छी परवरिश के लिए सतत जागृत रही। प्रभु वीर के बताए मार्ग पर उसका बेटा चल सके इस भाव से मोक्षा ने उसका नाम 'समकित' रखा। मोक्षा स्वयं अपने जीवन में संस्कारों व परवरिश के सुंदर परिणाम का अनुभव कर चूकी थी। अतः अपने अनुभवों के आधार पर उसने समकित को संस्कार देने में कोई कमी नहीं रखी। ____ मोक्षा की ननंद विधि फेशन डिज़ाईनींग कोर्स के अंतिम वर्ष में पहुँची। एक दिन उसके कॉलेज में प्रेक्टिकल कॉम्पिटिशन था। जिसमें भारतभर के फेशन डिज़ाईनरों ने भाग लिया। कॉम्पिटीशन के आधार पर किसी एक को “बेस्ट नेशनल फेशन डिज़ाईनर अवॉर्ड" मिलने की घोषणा हुई थी। विधि किसी प्रकार से सेमी फाईनल में पास तो हो गई। लेकिन उसे स्ट्रीक्ट वार्निंग दी गई कि यदि इस बार उसने अच्छी प्रस्तुति नहीं दी तो उसे बाहर निकाल दिया जाएगा। इससे विधि दिन-रात अपने डिज़ाईन को कामयाब बनाने के लिए मेहनत करने लगी। एक दिन मोक्षा विधि के कमरे में कॉफी देने आयी और ....) 154
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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