________________
डाल देती हो कि बच्चें खाना भी नहीं खा सकते है। विधि : हाँ मम्मी! मैं तो तंग आ गई हूँ ऐसा खाना खा-खाकर। इससे तो होटल का खाना अच्छा। सुशीला : महारानी स्वयं तो अपने लिए अच्छी-अच्छी गरम रसोई चख-चखकर बनाकर आराम से खाती है और हमारे लिए रोज ऐसा बनाती है। रोज-रोज का तेरा ये नाटक हो गया है। ये तो हम सब कब से सहन कर रहे है पर सहन करने की भी कोई हद होती है। अब इतना नमक डाली हुई यह दाल खायेगा कौन? विधि : हाँ माँ! अब यह दाल ना आप खाओगी ना मैं और ये महारानी तो कल नहीं खायेगी, क्योंकि इसके लिए तो ये बासी हो जाती है। इतनी महँगी दाल अब बाहर डालनी पड़ेगी। यहीं सिखाया है इसकी माँ ने ... मोक्षा : मम्मीजी! इस बार गलती हो गई। अगली बार आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी। ___(मोक्षा के इस विनय भरे जवाब के सामने सुशीला एवं विधि की बोलती बंद हो गई। सासु व बहू का संबंध माता-पुत्री के समान होना चाहिए, क्योंकि जिस घर में लड़की बड़ी हुई उस घर को छोड़कर पराये घर को अपना बनाने के स्वप्न संजोये वह बहू बनकर ससुराल में पाँव रखती है। जिस प्रकार अपनी लड़की की भूल हो जाने पर माता उसे प्रेम पूर्वक समझाती है। उसी प्रकार सास भी माँ बनकर प्रेम से बह को हितशिक्षा दे। पुत्री या बहू में कभी किसी प्रकार का भेदभाव न रखें । ध्यान रहे अपनी पुत्री तो थोड़े ही दिनों में ससुराल चली जायेगी, परंतु पूरा जीवन तो हमें बहू के साथ ही व्यतीत करना है, अत: किसी भी प्रकार का माया प्रपंच न कर सरलता का बर्ताव करें। जिससे बह के दिल में भी सास के प्रति माता के समान प्रेम उत्पन्न
होगा।
मोक्षा अपने दिल में बिल्कुल भी क्रोध न लाते हुए पुन: अपने काम में जुड़ गई और काम पूरा होते ही अपने कमरे में चली गई। तभी मोक्षा का पति विवेक ऑफिस से घर आया। विवेक के आते ही सुशीला ने उसे मोक्षा की सारी गलतियाँ बताई और विवेक से कहा कि वह मोक्षा से रात्रिभोजन शुरू करने का कह दे। ताकि यह तकलीफ ही न आए। तब-) विवेक : माँ! हम तो रात्रिभोजन त्याग नहीं कर सकते, पर वो कर रही है तो उसे क्यों रोके? माँ तुम टेन्शन मत लो, मैं उसे समझा दूंगा। (ऐसा कहकर विवेक अपने कमरे में चला गया और वहाँ मोक्षा को रोते देखकर) विवेक : मोक्षा! तुम भी मम्मी की बातों पर रोने बैठ गई। मम्मी की अब उम्र हो गई है। मोक्षा : नहीं! गलती मम्मीजी की नहीं मेरी ही है। मैंने ही ध्यान नहीं रखा। जिसके कारण मैं मम्मीजी को क्रोध दिलाने में निमित्त बनी। विवेक : चलो ठीक है, अब आगे से ध्यान रखना। ।