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अपनी माँ की दी हुई हितशिक्षा को ग्रहण कर मोक्षा ने ससुराल में अपना पहला कदम रखा। उसके परिवार में सास-ससुरजी, ननंद एवं दो देवर थे। उसकी सास एवं ननंद का स्वभाव थोड़ा चिड़चिड़ा और गुस्से वाला था। शादी के पश्चात् मोक्षा के सास-ससुर ने उन्हें थोड़े दिनों के लिए घूमने भेजा। घूम-फिर जब मोक्षा पुन: अपने ससुराल आई, तब दाम्पत्य जीवन के हर कदम पर अपनी माँ की दी हुई हितशिक्षा अमल करने लगी।
वह प्रतिदिन प्रातः उठकर घर का सारा कार्य निपटाकर जिन पूजा करने जाती। नाश्ता बनाकर परिवार को नाश्ता करवाती। फिर भोजन बनाने लग जाती । भोजन बनते ही नौकरों के हाथों अपने ससुरजी एवं पति के लिए टिफिन भिजवाती। बाद में सासुजी एवं ननंद को भोजन करवाकर स्वयं भोजन करके बाकी का सारा कार्य भी स्वयं ही करती। दोपहर को समय मिलता तो सामायिक लेकर स्वाध्याय करती। मोक्षा का ससुराल धार्मिक न होने के कारण घर के सभी लोग रात्रिभोजन करते थे। लेकिन मोक्षा को रात्रिभोजन त्याग होने के कारण वह स्वयं का खाना जल्दी बनाकर चउविहार कर लेती एवं बाकी लोगों के लिए अनिच्छा से रात को भोजन बनाकर देती। काम निपटाकर रात्री में वह अपने सास-ससुर की सेवा (पैर दबाना आदि) करती। पढ़ाई में अपने ननंद एवं देवर की मदद करती । इस प्रकार वह पूरे परिवार की सारी जिम्मेदारियाँ भली-भाँति निभा रही थी। मोक्षा नई-नई थी, अतः थोड़े दिनों तक तो मोक्षा की सास एवं ननंद ने मोक्षा के साथ अच्छा बर्ताव किया, पर धीरे-धीरे हर सास एवं ननंद की तरह वे दोनों मोक्षा के हर काम में गलतियाँ निकालने लगे।
एक बार रात्री में भोजन बनाते समय मोक्षा यह भूल गई कि उसने दाल में नमक डाला है या नहीं परंतु रात्रिभोजन त्याग होने के कारण उसने दाल को चखे बिना ही उसमें अंदाज़ से थोड़ा नमक और डाल दिया। दाल में नमक डबल हो जाने के कारण दाल खारी बन गई। जैसे ही दाल का पहला निवाला उसकी सासुमाँ ने लिया वैसे ही
सुशीला : (गुस्से में ) मोक्षा ! आज ये दाल कैसी बनाई है ?
मोक्षा: क्यों ? क्या हुआ मम्मीजी ?
सुशीला : यूँ, ये भी कोई दाल है। दाल में नमक डाला है या नमक में दाल ?
मोक्षा : मम्मीजी! मैं ये भूल गई थी कि मैंने दाल में नमक डाला है या नहीं। रात्रि भोजन त्याग होने के कारण मैंने दाल को चखे बिना ही उसमें थोड़ा और नमक डाल दिया। जिससे दाल खारी हो गई होगी। माफ करना मम्मीजी ।
सुशीला : हाँ, हाँ, बड़ी आई रात्रिभोजन त्याग वाली। तेरे ये धर्म के ढोंग के पीछे हमें क्या-क्या सहन नहीं करना पड़ता। कभी नमक डबल डाल देती हो तो कभी बिल्कुल नमक ही नहीं डालती । कभी इतनी मिर्ची
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