________________
मण्डल में सभी की अनुकूलतानुसार सप्ताह में कोई भी एक दिन सामायिक के लिए निर्धारित करें एवं सभी को अनुकूल हो तो सुबह 10 से 11 बजे का समय रखें। जिससे दोपहर में श्रावक के खाने आने का समय, कामवाली तथा मेहमानों के आने-जाने के कारण किसी को क्लास चुकने का अवसर ही न आए। यदि कभी सुबह 10-11 बजे कुछ काम आ जाए तो स्वयं को ही अपना काम आगे-पीछे कर लेना चाहिए। निर्धारित वार के दिन यदि तिथि हो और बड़ों का मंडल हो तो बहुओं का मंडल एक दिन आगे अथवा पीछे पहले से ही नक्की कर दें ताकि जिस घर में सास-बहू दोनों साथ में न निकल सकते हो, उन्हें सुविधा रहे। यदि व्याख्यान का योग हो तो सामायिक में व्याख्यान वाणी श्रवण करें। -site
. 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए सामायिक मंडल तिथि के दिन रखें। उन्हें धीरे-धीरे मुख जुबान क्रमश: एक-एक विषय कराना चाहिए। इस मंडल में मौखिक परीक्षा रखी जा सकती है। जो
. जहाँ सामायिक मण्डल न हो, वहाँ इस पुस्तक में दी गई पद्धति से नया सामायिक-मण्डल बनाएँ। रत्नत्रयी की आराधना सामायिकं में होती है अतः उसका “रत्मत्रयी आराधनामपाडल' नाम दें। तथा इसमें निम्नलिखित नियम तथा गतिविधियाँ हो। सामायिक मण्डल के नियम(1) निर्धारित दिन में निर्धारित समय से पाँच मिनिट पहले सभी आ जाए। जैसे: 10.30 बजे का समय हो तो 10.25 तक एवं 2-30 बजे का समय हो तो 2.25 तक सभी श्राविकाएँ आ जाए। (2) तत्पश्चात् पहले हाजरी भरी जाए, ताकि सामायिक में कोई स्खलना न हो। (3) हाजरी के तुरंत बाद समूह में विधि पूर्वक सामायिक उच्चरें। (4) सामायिक में पूर्ण मौन रहें। (5) विचार-विमर्श के लिए सामायिक के पहले अथवा सामायिक के बाद का समय रखें। (6) जिस व्यक्ति ने समूह में 'करेमि भंते.' न उच्चरा हो, लेकिन बाद में आकर सामायिक ली हो, उसके लिए एक रु. का दण्ड रखें। (7) जो अनुपस्थित झे उसको 5 रुपये का दपड़ रखें। (8) एम.सी. एवं बाहर गाँव के लिए छुट रहेगी। लेकिन उसके लिए छुट्टी पत्रक लिखित में किसी के साथ
अथवा एम.सी. से उठने के बाद स्वयं अवश्य लेकर आए। अन्यथा फाइन भरना अनिवार्य होगा। (9) फाइन का पैसा मण्डल में रखी गई स्पर्धा के इनाम में अथवा 7 क्षेत्र में ही उपयोग करें एवं फाइन भरने वाले भी किसी प्रकार की चर्चा किये बिना उत्साह से फाइन भरें, जैसे मंदिर में भगवान के भंडार में पैसा पुरते