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आत्मा को समभाव में रखते हुए सामायिक करना।
एक
सामायिक कितने समय की होती है? करेमि भंते में 'जाव नियम' शब्द के द्वारा सामायिक में 48 मिनिट रहने की मर्यादा बताई हैं। सामायिक लेते ही समय देख लेना चाहिए एवं 48 मिनिट का पूरा उपयोग रखना चाहिए। उपयोग नहीं रखने पर 'स्मृति भंग आमक अतिचार लगता है।
सामायिक लेने के बाद तुरंत घड़ी देखना आवश्यक है। मान लो कि प्रतिदिन प्रतिक्रमण में सामायिक आ ही जाती है फिर भी घड़ी देखना इसलिए जरूरी है कि अचानक कोई बुलावा आ जाए तो जिसने घड़ी देखी हो वह सामायिक का समय पूरा होने पर पार सकता है । अन्यथा अंदाज़ से पारने पर दोष लगता है तथा अंदाज़ से सामायिक, पारने पर सामायिक काल से अधिक समय हो गया हो तो भी दोष लगता है। तु प्र.: नित्य सामायिक के नियम बालों को रेलगाड़ी आदि में क्या करना चाहिए ि
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उ... गाड़ी आदि में सामायिक तो नहीं हो सकती, लेकिन (चलती गाड़ी में भी 3 नवकार गिनकर 48 मिनिट धर्माराधना करने पर नियत की सापेक्षता रह सकती है
कि
प्र.: स्थापनाचार्यजी स्थापित कर सामायिक लेने के बाद अन्यत्र जा सकते है ? यदि जाना हो तो क्या करें ?
imfe उ. : सामान्य से सामायिक में कहीं जानी आना नहीं चाहिए। फिर भी विशेष लाभकारी व्याख्यान, वाचना आदि के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान में जाना पड़े तो नवकार से स्थापनाचार्यजी का उत्थापन कर, जहाँ जाना हो वहाँ ले जाये। वहाँ गुरु भगवंत के स्थापनाचार्यजी हो तो स्थापना करने की जरुरत नहीं है यदि न हो तो पुनः नवकार, पंचिंदिय से स्थापना कर इरियावहियं करें। (डीएफ
11- सामायिक किच्छप्रकरण
कि कुछ - PIR
चरवला, कटासणा, मुँहपत्ति, स्थापनाचार्यजी, बड़ी, शुद्ध वस्त्र, निक्कारबाली, ठवेपार्क, पुस्तकात 1. चठवता = यह सामायिक में पूंजने, चलने, उठने में काम आता है। इसके निकाहीं सकते, क्योंकि कोई जीव आपके पास आ जाए तो उसे कैसे दूर करेंगे ? हाथ में पकड़ेंगे तो उसे दुःख होगा अथवा कभी मर भी सकता है एवं सामायिक में कोई पुस्तक आदि वस्तु लेते रखते समय पूंजकर ही ली या रखी जा सकती है। कटासणा बिछाने से पूर्व आँखों से भूमि देखना एवं चरवले से पूजना चाहिए। सामाजिक में उठना-बैठना हो तो इससे शरीर को पूंजकर बैठना एवं चलना हो तो जमीन को पूंजते पूंजते चितंनना चाहिए
माप - 24 दंडकों एवं 8 कर्मों से मुक्त होने के लिए कुल 32 अंगुल का चरवला होता है। इसमें 24 अंगुल की दंडी एवं 8 अंगुल की दशी होती है। चरवला के ऊपर डोरी, होनी जरूरी है ताकि उसे सीतेच्छ
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