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प्रभु के जन्म कल्याणक से बदली सृष्टि
____प्रभु का जन्म होते ही सर्व शुभ ग्रह, राशि अपने उच्च स्थानों पर आ जाते है। प्रभु का जन्म सकल सृष्टि को प्रभावित करता है। प्रभु के जन्म से पृथ्वी में दूध-घीइक्षुरस आदि की वृद्धि होती है। सर्व वनस्पतिओं में रही हुई औषधियाँ अपने-अपने प्रभाव में अतिशय वृद्धि को प्राप्त होती है। रत्न, सोना, रुपा आदि धातुओं की खानों में इन वस्तुओं की अत्याधिक उत्पत्ति होती है। समुद्र में भरती आती है। पानी अत्यन्त स्वादिष्ट एवं शीतल बनता है। पृथ्वी में रहे हुए निधान ऊपर आते हैं।
प्रभु की प्रभावकता का असर प्रकृति के साथ-साथ प्राणी जगत पर भी होता है। प्रभु के जन्म से लोगों के मन परस्पर प्रीति वाले बनते हैं। शुभ एवं सात्विक विचार तथा मंत्रों के साधकों को सिद्धियाँ सुलभ बनती है। लोगों के हृदय में सद्बुद्धि उत्पन्न होती है। प्राणीयों के मन दया से आद्र बनते हैं। उनके मुख से असत्य वचन नहीं, निकलते। जीव अत्यन्त भद्रिक एवं सरल परिणाम वाले बनते है। लोगों के मनोवांछित पूर्ण होते ही सुख एवं शांति प्राप्त करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि परमात्मा के जन्म कल्याणक से मानों सर्व जीवों के हृदय में प्रभु की प्रीति का जन्म हुआ हो।
प्रभु के जन्म के समय मेरुगिरि पर 64 इन्द्र प्रभु का अभिषेक करते है एवं प्रभु से प्रार्थना करते है कि “ हे अनंत उपकारी अर्हम् प्रभु आपके प्रदेश-प्रदेश से बहती आपकी अनंत करुणा, अपार वात्सल्य एवं असीम कृपा के प्रभाव से चौदह राजलोक के सर्वजीवों की चेतना में मोक्ष प्राप्ति के अनुकूल गुणों की प्राप्ति हो, जगत् के सर्व जीव परस्पर एक-दसरे को वीतराग स्वरुप बनने में सहायक बने, पृथ्वी, पानी, अग्नि, वाय, वनस्पति रूप पंचभूत जगत के जीवों के आत्मविकास में अनुकूल बने।"
उस समय सकल ब्रह्माण्ड की सर्व शिव शक्तियाँ प्रभु के अभिषेक धार में अभेद बनती है। जिससे पूरे चौदह राजलोक में विशेष मंगल होता है।