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________________ पहले देवलोक में विमान 32 लाख दूसरे देवलोक में विमान 28 लाख तीसरे देवलोक में विमान 12 लाख चौथे देवलोक में विमान 8 लाख पाँचवें देवलोक में विमान 4 लाख छट्ठे देवलोक में विमान 50 हज़ार सातवें देवलोक में विमान 40 हज़ार आठवें देवलोक में विमान 6 हज़ार नवमें- दशमें देवलोक में विमान 400 ग्यारमें- बारमें देवलोक में विमान 300 कुल विमानों की संख्या 84,96,700 कुल चैत्य - 84, 96,700 उर्ध्व लोक के चैत्यों में प्रतिमाजी की संख्या - ये सभी मन्दिर 100 योजन लंबे 50 योजन चौड़े एवं 72 योजन ऊँचे हैं। प्रत्येक चैत्य के बीच में मणिमय पीठिका है। उसके चारों दिशा में 27-27 जिनबिम्ब होने से एवं 3 दरवाज़े में 1-1 चौमुखजी होने से 12 देवलोक में 27x4 = 108 3x4 = 012 कुल = 120 12 देवलोक में प्रत्येक विमान में 5-5 सभा है एवं प्रत्येक सभा के 3 दरवाज़े हैं। प्रत्येक दरवाज़े में 60 सभा के जिनबिम्ब हुए। चौमुखजी है। अत: 5x4x3 120+60 | = 180 प्रतिमाजी प्रत्येक विमान में होने से . 12 देवलोक के कुल चैत्य : 84,96,700x180 = 1,52,94,06,000 प्रतिमाजी हैं। 9 ग्रैवेयक में 318 विमान में 318 चैत् 5 अनुत्तर के 5 विमान में 5 चैत्य कुल 323 चैत्य इन विमानों में 5 सभा नहीं होने से चैत्यों की 120 प्रतिमाजी है। = = = = 32 लाख 28 लाख 12 लाख 8 लाख 4 लाख 50 हज़ार 40 हज़ार 6 हज़ार 400 300 = अत: 323x120 = 38,760 84,96,700 चैत्य 038 मन्दिर मन्दिर मन्दिर मन्दिर मन्दिर मन्दिर मन्दिर मन्दिर मन्दिर मन्दिर जिनबिम्ब हुए। जिनबिम्ब हैं। 1,52,94,06,000 प्रतिमाजी
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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