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________________ 12 Marks 4. ........ .. ने मंदिर निर्माण हेतु सात पैसों का दान दिया। (पेथड़, लुणिग, भीमा) क्रोध के आगे ........... दिखाकर तुम दिल जीत सकते हो। .......... देव आगे के 25-25 योजन देखते-देखते भरत क्षेत्र तक आ जाते है। भद्रशाल वन की 8 दिशाओं में ........... है। ........... के बाद ही देवता समवसरण की रचना करते हैं। 9. वाजिंत्रों की मधुर आवाज़ में ........... ने रंग में भंग डाला। 10. नव ग्रैवेयक के एक विमान में .......... चैत्य है। 11. .......... होने के कारण शब्दों में मिठास नहीं आती। 12. सोमनस से भद्रशाल वन ......... योजन नीचे है। Q.c मुझे पहचानो? Who aml? 1. मेरा अर्थ है वातावरण की शुद्धि से जीव मात्र का मंगल हो। 2. मैंने अपनी बहू को उसकी माँ की याद दिलाई। 3. सुख मात्र मेरे में ही है। 4. मेरे मध्य भाग में महा-पद्मद्रह है। मैंने आबू पर जिनालय निर्माण के विघ्न निवारण हेतु अट्ठम तप किया था। मैं जीवों की हिंसा करवाने वाला हूँ, जिसे नेमि प्रभु ने भी धिक्कारा है। 7. मैं लाल सोने का बना हूँ। 8. मेरी प्रेरणा से जीव मोक्ष की प्राप्ति के लिए समवसरण में पधारते हैं। 9. मैं गंगा नदी और लवण समुद्र का संगम स्थान हूँ। 10. मैंने अपने देवर को अपने जेठ की अंतिम इच्छा याद दिलाई। 11. मेरे विमान आधी मोसंबी के समान आकार वाले है। 12. पिता की मृत्यु के बाद राजा ने मुझे मंत्री पद दिया। 10 Marks Q.D 1. 2. 3. सही जोड़ी बनाइये। (Match the following):केशरी द्रह तीर्थंकर नामकर्म चंदेसु निम्मलयरा 92,59,25,925 गुरुकुल प्रियमती
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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